



AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके विचारों को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने RSS प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान को “बेतुका” बताते हुए कहा कि “RSS और मुसलमान समंदर के दो किनारे हैं, जो कभी नहीं मिल सकते।”
मोहन भागवत ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक जैसा है और हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग ढूंढने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उनका यह बयान देश में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवादों की पृष्ठभूमि में आया था।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि भागवत का यह बयान उनकी ही विचारधारा के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “RSS की सोच और मुसलमानों की सोच के बीच गहरी खाई है। हम उनके डीएनए वाले तर्क को नहीं मानते, क्योंकि यह उनकी पुरानी नीतियों से मेल नहीं खाता।”
ओवैसी ने आगे कहा कि अगर मोहन भागवत सच में चाहते हैं कि धार्मिक विवाद न बढ़ें, तो उन्हें अपने समर्थकों को अदालतों में ऐसे मामलों को लेकर जाने से रोकना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग मस्जिदों के नीचे मंदिर होने का दावा लेकर कोर्ट जा रहे हैं, वे सभी RSS के समर्थक हैं।
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हिंदुत्व की विचारधारा को मुसलमानों द्वारा अस्वीकार्य बताते हुए ओवैसी ने कहा, “RSS की सोच मुसलमानों के लिए स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के संस्थापक नेताओं ने देश को सहभागी लोकतंत्र के रूप में देखा था, लेकिन मुसलमानों की भागीदारी न के बराबर है।
ओवैसी ने सामाजिक असमानता पर भी सवाल उठाए और कहा, “ऊंची जाति के लोग नेता होंगे और मुसलमान भिखारी बने रहेंगे। यह कहां का न्याय है?” उन्होंने कहा कि अगर देश को 2047 तक विकसित बनाना है, तो इतने बड़े समुदाय को हाशिए पर नहीं रखा जा सकता।
ओवैसी के इस बयान ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में विचारधारात्मक टकराव और धार्मिक प्रतिनिधित्व की बहस को केंद्र में ला दिया है।