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Reading: पिता की एक बात से आर्किटेक्ट नहीं, देश के CJI बने गवई
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Khabar21 > Blog > बीकानेर > पिता की एक बात से आर्किटेक्ट नहीं, देश के CJI बने गवई
बीकानेर

पिता की एक बात से आर्किटेक्ट नहीं, देश के CJI बने गवई

editor
editor Published May 14, 2025
Last updated: 2025/05/14 at 12:13 PM
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नई दिल्ली।
भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शपथ दिलाई। जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI हैं। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त हुए। गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा।

शपथ के बाद मां को छूकर लिया आशीर्वाद
शपथ ग्रहण के बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां कमलताई गवई के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। मां ने इसे उनकी मेहनत और समाज के प्रति समर्पण का परिणाम बताया। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

पिता की सलाह से बदली राह
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता रामकृष्ण गवई वकील और सामाजिक कार्यकर्ता थे। गवई ने शुरू में आर्किटेक्चर में करियर बनाने का सपना देखा था, लेकिन उनके पिता ने एक दिन उनसे कहा –
“एक दिन तुम देश के CJI बन सकते हो, लेकिन इसके लिए तुम्हें मेहनत, ईमानदारी और समाज के लिए समर्पण के रास्ते पर चलना होगा।”

यह बात गवई को गहराई से छू गई और उन्होंने अपने सपनों की दिशा बदल दी। उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की और 1980 में नागपुर विश्वविद्यालय से LLB की डिग्री प्राप्त की।

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कानून बना जीवन का उद्देश्य
उनके पिता की सोच थी कि कानून केवल पेशा नहीं, समाज में बदलाव लाने का जरिया है। यही विचार गवई के जीवन का मूल मंत्र बन गया। उन्होंने 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत शुरू की और 2003 में हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।

संविधान और सामाजिक न्याय के मामलों में मजबूत पकड़
अपने न्यायिक करियर में गवई ने कई ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया है, जिनमें नोटबंदी, अनुच्छेद 370 और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामले शामिल हैं। उनके फैसलों में निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों की गूंज रही है।

6 महीने का कार्यकाल, बड़ी जिम्मेदारी
मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल भले ही केवल छह महीने का है, लेकिन इस दौरान उन्हें न्यायिक प्रणाली में स्थिरता और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रेरणा बनती कहानी
जस्टिस गवई की कहानी यह साबित करती है कि एक पिता की सही सलाह, कड़ी मेहनत और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता किसी को भी असाधारण ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। उनका जीवन हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो समाज में बदलाव लाने का सपना देखता है।


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editor May 14, 2025
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