


टेरिटोरियल आर्मी: धोनी-तेंदुलकर जैसे मानद रैंकधारकों की भूमिका पर उठा सवाल
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव और सीमावर्ती इलाकों में हालिया घटनाओं के मद्देनज़र, रक्षा मंत्रालय ने टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) को सक्रिय करने का फैसला लिया है। इस संबंध में सेना प्रमुख को अधिकृत किया गया है कि वे टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारियों और जवानों को आवश्यकतानुसार सुरक्षा ड्यूटी या नियमित सेना के समर्थन में बुला सकते हैं। इस फैसले ने एक बार फिर क्रिकेट के दो दिग्गजों, महेंद्र सिंह धोनी और सचिन तेंदुलकर, को सुर्खियों में ला दिया है, जो क्रमशः टेरिटोरियल आर्मी और भारतीय वायुसेना में मानद रैंकधारी हैं।
क्या धोनी और तेंदुलकर को ड्यूटी पर बुलाया जा सकता है?
महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में 106वीं इन्फैंट्री बटालियन (पैरा) में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी गई थी, जबकि सचिन तेंदुलकर को 2010 में भारतीय वायुसेना ने ग्रुप कैप्टन की मानद रैंक से सम्मानित किया था। ये रैंक उनके राष्ट्रीय योगदान को मान्यता देने के लिए दी गई हैं और इनका उद्देश्य प्रेरणात्मक होता है, न कि सैन्य ड्यूटी के लिए बाध्यता।
विशेषज्ञों के अनुसार, मानद रैंकधारी आमतौर पर युद्ध जैसी स्थिति में सक्रिय सैन्य सेवा के लिए बाध्य नहीं होते। हालांकि, आपातकाल की स्थिति में टेरिटोरियल आर्मी के सदस्य, विशेष रूप से प्रशिक्षित और इच्छुक नागरिक, रसद, संचार, चिकित्सा सेवाएं और अन्य गैर-सैन्य कार्यों में योगदान दे सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय का आदेश और वर्तमान संदर्भ
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में जारी आदेश में सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी के संचालन और तैनाती के लिए व्यापक अधिकार सौंपे हैं। यह निर्णय हाल की घटनाओं—विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद लिया गया है, जिसके अंतर्गत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। इसके जवाब में सीमावर्ती इलाकों में तनाव बढ़ गया है।
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टेरिटोरियल आर्मी का व्यापक स्वरूप
टेरिटोरियल आर्मी भारत की तीसरी सुरक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करती है। इसमें केवल सैन्य प्रशिक्षित जवान ही नहीं, बल्कि रेलवे, तेल कंपनियों, डाक विभाग, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाता है। वे संकट की स्थिति में अपनी विशेषज्ञता के जरिए सहायता प्रदान करते हैं।
धोनी और तेंदुलकर जैसे व्यक्तित्वों की भूमिका मुख्यतः प्रतीकात्मक होती है। वे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने, आम जनता में जागरूकता फैलाने और राष्ट्रभक्ति को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी सीधी सैन्य तैनाती की संभावना न के बराबर मानी जा रही है।
निष्कर्ष:
हालिया फैसलों के बीच टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका और उसमें शामिल लोगों की जिम्मेदारियों को लेकर स्पष्टता जरूरी है। मानद उपाधि रखने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की भूमिका अधिकतर प्रतीकात्मक होती है, जबकि सक्रिय ड्यूटी के लिए प्रशिक्षित सैनिकों और विशेषज्ञों पर ही निर्भर किया जाता है।