


पश्चिमी सीमा पर तनाव के बीच गृह मंत्रालय ने राज्यों को सिविल डिफेंस एक्ट लागू करने के निर्देश दिए
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और संभावित सुरक्षा खतरों को देखते हुए गृह मंत्रालय (MHA) ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत आपातकालीन उपाय लागू करने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश गुरुवार रात जम्मू और जैसलमेर क्षेत्रों में पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद जारी किया गया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन उपायों के लिए स्थानीय निकायों के धन का उपयोग किया जा सकता है और यह अन्य वित्तीय दायित्वों पर प्राथमिकता में रहेगा।
धारा 11 के तहत आदेश, आपात खरीद की छूट
गृह मंत्रालय ने “राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सिविल डिफेंस उपायों का सुदृढ़ीकरण” विषय पर एक आधिकारिक पत्र जारी कर सिविल डिफेंस नियम, 1968 की धारा 11 का हवाला दिया है। इस धारा के तहत राज्य सरकारों को नागरिकों और संपत्ति की रक्षा, आवश्यक सेवाओं के संचालन तथा शत्रु हमले से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
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पत्र में निर्देशित किया गया है कि राज्य सरकारें तत्काल प्रभाव से धारा 11 लागू करें और सिविल डिफेंस निदेशकों को आपातकालीन खरीद की शक्ति दें, ताकि जरूरी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
गुरुवार रात पाकिस्तान के हमले ने बढ़ाई चिंता

पाकिस्तानी सेना द्वारा गुरुवार रात जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। हालांकि भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों—विशेषकर एस-400 सिस्टम—ने हमलों को विफल कर दिया, जिससे बड़ा नुकसान टल गया।
इन हमलों को भारत के हालिया ऑपरेशन “सिंदूर” के जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें 22 अप्रैल को कश्मीर में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने उच्चतम स्तर पर है, और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आक्रामकता व हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं।
तत्काल तैयारियों का आह्वान
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि वे किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर तत्काल और प्रभावी सिविल डिफेंस उपाय लागू करें। मंत्रालय का यह कदम देशभर में सतर्कता बढ़ाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।