


राजस्थान की सियासत में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। अंता से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक कंवरलाल मीणा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी याचिका खारिज करते हुए उन्हें 14 दिन के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उनकी सजा पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है, जिससे उनकी विधायकी स्वतः समाप्त मानी जाएगी।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने साफ किया कि विधायक को अब कोई राहत नहीं दी जाएगी। संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत, दो वर्ष या उससे अधिक की सजा होने पर किसी भी जनप्रतिनिधि की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है।
विपक्ष ने की थी सदस्यता रद्द करने की मांग
इससे पहले कांग्रेस ने इस मुद्दे पर विधानसभा सचिवालय को ज्ञापन सौंपा था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष को स्वतः संज्ञान लेकर सदस्यता रद्द करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने चुप्पी साधे रखी।

क्या है पूरा मामला?
यह प्रकरण वर्ष 2005 का है, जब तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता के साथ विधायक कंवरलाल मीणा की बहस हो गई थी। आरोप है कि बहस के दौरान विधायक ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर निकालकर एसडीएम की कनपटी पर तान दी और जान से मारने की धमकी दी थी। इतना ही नहीं, घटना की रिकॉर्डिंग कर रहे वीडियोग्राफर की कैसेट छीनकर तोड़ दी गई थी।
- Advertisement -
2018 में मनोहरथाना की एसीजेएम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था। लेकिन जब मामला एडीजे कोर्ट पहुंचा, तो 2023 में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई। इस फैसले को विधायक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, पर हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखते हुए आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। अब सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के कारण उनकी जेल जाना तय है और विधायकी खत्म मानी जा रही है।