


बीकानेर. जल जीवन मिशन में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार की आशंका अब बीकानेर तक पहुंच गई है। ग्रामीण खंड-द्वितीय और वृत बीकानेर के अभियंताओं पर डमी फर्मों के ज़रिए ठेकेदारों को फर्जी भुगतान करने के आरोप लगे हैं। इस मामले में मुख्य अभियंता (गुणवत्ता नियंत्रक) आरके मीणा ने चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, जो 12 मई तक रिपोर्ट सौंपेगी।
यह आरोप वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में सामने आए हैं, जबकि पहले से ही इस योजना में कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुए घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है। अब बीकानेर के अभियंताओं पर बिना कार्य किए डमी फर्मों को 1.26 करोड़ रुपये से अधिक भुगतान करने का मामला उजागर हुआ है।
जांच के घेरे में अधिकारी और ठेकेदार
मुख्य अभियंता मीणा द्वारा जारी आदेश में अधिशाषी अभियंता नरेश कुमार रैगर, अधीक्षण अभियंता राजेश पुरोहित और वरिष्ठ सहायक कुशाल आचार्य के खिलाफ ठेकेदारों से मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरुपयोग करने की शिकायत पर जांच के आदेश दिए गए हैं।
जांच समिति में शामिल अधिकारी:
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प्रवीण अकोदिया (अतिरिक्त मुख्य अभियंता, श्रीगंगानगर)
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सतीश कुमार अरोड़ा (अधिशाषी अभियंता, गुणवत्ता नियंत्रक, जयपुर)
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आदित्य श्रीमाली (सहायक अभियंता, ग्रामीण खंड-प्रथम, बीकानेर)
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राजू कड़वा (कनिष्ठ लेखाकार, बीकानेर)
इन फर्मों को हुए संदिग्ध भुगतान:
शिकायत के अनुसार जनवरी 2024 से अगस्त 2024 तक देहरू कंस्ट्रक्शन कंपनी, गोदारा कंस्ट्रक्शन कंपनी (दोनों नोखा स्थित) और शिवशंकर कंस्ट्रक्शन कंपनी (बीकानेर) को बिना काम किए 1.26 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
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देहरू कंस्ट्रक्शन को अगस्त व सितम्बर 2024 में 27.13 लाख और फिर अक्टूबर में 47.77 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
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गोदारा कंस्ट्रक्शन को अगस्त और सितम्बर में 23.95 लाख रुपये, और अक्टूबर में फिर 1.25 लाख रुपये मिले।
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अंतिम रूप से दो बिलों में देहरू को 2.70 लाख रुपये का और भुगतान हुआ।
भुगतान की विस्तृत जांच की मांग
शिकायतकर्ता संतोष चन्द्र ने विभाग से आरटीआई के जरिए पिछले वर्ष के भुगतान की जानकारी मांगी थी। लेकिन विभाग ने सिर्फ आठ माह की जानकारी ही उपलब्ध कराई। उन्होंने समस्त कार्यकाल के भुगतानों की जांच की मांग की है।
राजनीतिक दखल की आशंका भी उठी
जानकारी के अनुसार, जिन अभियंताओं पर आरोप लगे हैं, वे पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में कांग्रेस के समर्थन से पदस्थापित थे। भाजपा शासन में उन्हें पहले हटाया गया, लेकिन फिर भाजपा के ही एक अन्य नेता के प्रयास से दोबारा पद पर लाया गया। ऐसे में भ्रष्टाचार सिद्ध होने की स्थिति में उन्हें वापस लाने वाले नेताओं पर भी सवाल उठ सकते हैं।