


भरतपुर: राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। विजिलेंस टीम की जांच में सामने आया कि डॉक्टर, फार्मा कंपनियों के एजेंट और मरीज मिलकर योजनाबद्ध तरीके से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे। भरतपुर सहित कई जिलों में सरकारी अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (CHC) से 38 करोड़ रुपये की दवाइयों के फर्जी बिल पास कराए गए हैं।
कैसे हुआ घोटाला:
फर्जी ओपीडी पर्चियों के जरिये बिलिंग की गई। सरकारी अस्पतालों के नाम पर नकली पर्चियां बनाकर निजी दवा दुकानों से दवाइयां ली गईं और उसका भुगतान सरकार से कराया गया। जांच में सरकारी कर्मचारियों की भी संलिप्तता पाई गई है।
डॉक्टरों और परिवार का इलाज दिखाकर हेरा-फेरी:
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने अपने परिवार के पांच सदस्यों के नाम पर एक जैसी बीमारियों का इलाज दिखाकर 34 बार महंगी दवाएं लीं। जब निजी संस्थानों ने पर्चियां देने से मना किया, तो खुद ही पर्चियां बनाकर पेश कर दीं।
एक ही दवा के 250 बार बिल उठाए:
जांच में सामने आया कि एक फार्मेसी ने एक ही दवा के 250 बार बिल बनवाकर भुगतान लिया। इसमें चिकित्सकों और दवा एजेंटों की मिलीभगत स्पष्ट है।
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सुपर स्पेशलिटी दवाइयों का फर्जी उपयोग:
जयपुर CHC में एक एमबीबीएस डॉक्टर ने गैर-मान्यता प्राप्त डॉक्टरों की सिफारिश पर महंगी सुपर स्पेशलिटी दवाएं फर्जी मरीजों को लिखीं। यह दवाएं असल में फार्मा कंपनी एजेंटों के नेटवर्क में चली गईं।

पूरे परिवारों को एक जैसी दुर्लभ बीमारी:
अलवर के खैरथल CHC में सामने आया कि एक ही परिवार के चार सदस्यों को ‘उर्सोडिओक्सीकॉलिक एसिड’ जैसी दुर्लभ दवाएं एक साथ दी गईं, जबकि बीमारी की पुष्टि संदिग्ध रही। शुरुआती ऑडिट में ऐसे 84 परिवारों की पहचान की गई है।
सरकार की नई तैयारी:
अब सरकार ने RGHS योजना को IHMS पोर्टल से जोड़ने का फैसला लिया है ताकि सभी ओपीडी पर्चियां डिजिटल हों और पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि अब गैर-IHMS पर्चियों पर कोई बिल पास नहीं किया जाएगा।
शासन का बयान:
शासन सचिव (व्यय) नवीन जैन ने बताया कि जिला कलेक्टरों और CMHO को जांच के निर्देश दिए गए हैं। खैरथल के मामले में संबंधित चिकित्सक को निलंबित कर दिया गया है। सभी जिलों में ऑडिट के आदेश जारी किए गए हैं।
निष्कर्ष:
RGHS घोटाले ने सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि डिजिटल उपाय इस गड़बड़ी को रोकने में कितने कारगर साबित होते हैं।