


30 दिन बंद रहेगी इंदिरा गांधी नहर, कैसे मिलेगा पानी?
बीकानेर. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) के तहत पानी की आपूर्ति अब 20 मई तक पूरी तरह बंद रहेगी। मंगलवार से नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है, जिससे राज्य के 10 जिलों—श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, चूरू, झुंझुनूं और सीकर—को आगामी 30 दिनों तक भंडारित पेयजल पर निर्भर रहना होगा।
हर साल होती है नहरबंदी, इस बार कब तक रहेगी?
हर वर्ष अप्रैल-मई के दौरान नहर की सफाई, मरम्मत और रिलाइनिंग के लिए इंदिरा गांधी नहर की आपूर्ति बंद की जाती है। इस बार नहरबंदी 20 मई की आधी रात तक जारी रहेगी। पंजाब के फिरोजपुर स्थित हरिके बैराज से सोमवार रात के बाद नहर में पानी की आपूर्ति पहले धीमी की गई और फिर मंगलवार सुबह पूरी तरह बंद कर दी गई।
कैसे पूरी होगी पानी की जरूरत?
जलदाय विभाग ने नहरबंदी से पहले ही डिग्गियों, जलाशयों और रिजर्व वायर में पानी जमा कर लिया है। अनुमान है कि मौजूदा भंडारण से करीब 15 से 17 दिन तक ही नियमित आपूर्ति संभव है। ऐसे में विभाग अब एक दिन के अंतराल पर पानी देने की योजना बना रहा है ताकि 30 दिनों तक सीमित जलस्रोतों से काम चलाया जा सके।
शहरी इलाकों में कटौती तय, टैंकर से मदद
बीकानेर जैसे शहरों में फिलहाल प्रति व्यक्ति 135 लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन नहरबंदी के कारण इसमें 50 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। जलदाय विभाग अब दो दिन में एक बार ही जलापूर्ति करेगा। शोभासर और बीछवाल जलाशयों को नहरी पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो चुकी है।
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जलदाय विभाग तैयार कर रहा नया चार्ट
जलदाय विभाग जल्द ही समीक्षा कर नया आपूर्ति चार्ट तैयार करेगा जिसमें सम और विषम तिथियों के अनुसार पानी देने की योजना बनाई जाएगी। जहां पानी की भारी कमी महसूस की जाएगी, वहां विभाग टैंकरों से जल आपूर्ति करेगा।
नहरबंदी के अंतिम दिनों में स्थिति और चुनौतीपूर्ण
नहरबंदी समाप्त होने के बाद भी नहर और पाइपलाइन के अंतिम छोर तक पानी पहुंचने में लगभग एक सप्ताह लग सकता है। इस शुरुआती पानी को पेयजल में इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसलिए नहरबंदी के अंतिम 10 दिनों में दो दिन के अंतराल पर ही जलापूर्ति हो सकेगी।
अधिकारियों की निगरानी में स्थिति का आकलन
आईजीएनपी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता विवेक गोयल के अनुसार नहरबंदी से पहले जलदाय विभाग को आंशिक आपूर्ति के तहत 2,000 क्यूसेक पानी मिला था जिसे पूरे महीने के लिए डिग्गियों और जलाशयों में संग्रहित किया गया है। इसी पानी के सहारे पेयजल आपूर्ति की जाएगी।