


अक्षय तृतीया 2025: दुर्लभ संयोग और पौराणिक महत्व
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे अक्षय तृतीया या आखा तीज कहा जाता है, हिंदू और जैन धर्मों में अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व 2025 में 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे शुरू होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे समाप्त होगा। उदयातिथि के अनुसार, पर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।
अर्थ और महत्व
संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ होता है — जो कभी नष्ट न हो, और ‘तृतीया’ का अर्थ है — तीसरी तिथि। इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य, पूजा, जप, दान या तप अक्षय फल प्रदान करता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार लिया था, इसलिए इसे परशुराम जयंती भी कहा जाता है।
जैन धर्म में भी विशेष महत्व
इस दिन प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने अपनी 400 दिनों की तपस्या पूर्ण की थी और गन्ने के रस से पारणा किया था। जैन अनुयायी इस दिन वर्षीतप का समापन करते हैं और विशेष पूजा व उपवास रखते हैं।
शुभ संयोग 2025 में
2025 की अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्रमा दोनों उच्च राशियों में स्थित रहेंगे, जिससे यह दिन अत्यंत शुभ फल देने वाला होगा। इसे स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है, अर्थात इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना पंचांग देखे किया जा सकता है।
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शुभ कार्य जो किए जा सकते हैं
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विवाह
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गृह प्रवेश
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आभूषण, जमीन, वाहन या सोना खरीदना
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नई संस्था या व्यवसाय की शुरुआत
पूजन विधि
इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, परशुराम और कुबेर की पूजा की जाती है। पूजा विधि में निम्नलिखित प्रमुख चरण होते हैं:
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सूर्योदय से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
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पूजा स्थल को साफ कर चित्र या मूर्ति स्थापित करें
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धूप, दीप, चंदन, पुष्प, पंचामृत आदि से पूजा करें
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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः” जैसे मंत्रों का जप करें
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दान करना, विशेषकर जल और भोजन का, अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है
विशेष परंपराएं और मान्यताएं
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इस दिन तुलसी और पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है
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महिलाएं गौरी-पूजन कर सौभाग्य की कामना करती हैं
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प्याऊ लगवाना या प्यासों को जल पिलाना सर्वोत्तम दान माना जाता है
निष्कर्ष
अक्षय तृतीया सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए आदर्श माना गया है। यह दिन धर्म, पुण्य और समृद्धि के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और जीवन में स्थायी सकारात्मकता लाता है। 2025 की अक्षय तृतीया पर बन रहा दुर्लभ योग इसे और भी विशेष बना देता है।