


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘टैरिफ वॉर’ ने वैश्विक स्तर पर कई देशों की चिंता बढ़ा दी है, और ईरान भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और संभावित टैरिफ के प्रभावों से बचने के लिए अब ईरान ने भारत से सहयोग की अपील की है।
ईरान ने भारत को बताया भरोसेमंद साझेदार
ईरान लंबे समय से भारत को एक भरोसेमंद साझेदार मानता रहा है। ट्रंप प्रशासन की नीतियों से उत्पन्न अनिश्चितता के माहौल में ईरान अब भारत के साथ अपने रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों को और अधिक सशक्त बनाना चाहता है।
खामेनेई ने तीन देशों पर जताया भरोसा
ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने हाल ही में एक बयान में भारत, रूस और चीन के साथ मजबूत व्यापारिक संबंधों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन तीन देशों के साथ मिलकर ईरान न केवल अमेरिकी दबाव का सामना कर सकता है, बल्कि आर्थिक स्थिरता की दिशा में भी आगे बढ़ सकता है।
पाकिस्तान से दूरी बरकरार
खामेनेई के इस बयान में पाकिस्तान का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ईरान पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ रणनीतिक या आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता नहीं देना चाहता। यह रुख ईरान की विदेश नीति में स्पष्ट बदलाव को दर्शाता है।
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भारत दौरे पर आ सकते हैं ईरानी विदेश मंत्री
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा सहयोग और क्षेत्रीय रणनीति जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। कुछ समय पहले अराघची ने चाबहार पोर्ट को लेकर भारत की भूमिका की सराहना करते हुए इसे दो देशों की मित्रता का प्रतीक बताया था।
भारत-ईरान साझेदारी से बनेगा आर्थिक संतुलन
भारत, रूस और चीन के साथ सहयोग बढ़ाकर ईरान न केवल अमेरिकी दबाव से राहत पाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर अपनी आर्थिक ताकत भी मजबूत करना चाहता है। वहीं इन संबंधों से भारत समेत सभी साझेदार देशों को भी रणनीतिक लाभ मिल सकता है।
ईरान का यह कदम एशिया में सहयोग की नई संभावनाओं की ओर संकेत करता है, जहां क्षेत्रीय शक्तियां मिलकर एक संतुलित और स्वतंत्र आर्थिक ढांचा तैयार करने की ओर अग्रसर हैं।