


भारत और जापान के संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जापान ने भारत को विश्व प्रसिद्ध शिंकानसेन बुलेट ट्रेन तकनीक का अनुभव कराने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जापान भारत को दो अत्याधुनिक बुलेट ट्रेनें—E-5 और E-3—बिल्कुल मुफ्त में देने जा रहा है। ये ट्रेनें मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की टेस्टिंग में इस्तेमाल की जाएंगी।
फरवरी 2026 तक भारत पहुंचेंगी ट्रेनें
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों ट्रेनें वर्ष 2026 की शुरुआत तक भारत पहुंच जाएंगी। इनका उपयोग भारत के जलवायु, ट्रैक की स्थिति, गति, तापमान और धूल जैसे पर्यावरणीय पहलुओं का डेटा जुटाने में किया जाएगा। इन आंकड़ों के आधार पर भारत के लिए अगली पीढ़ी की ई-10 सीरीज ट्रेन—’अल्फा एक्स’—को डिजाइन किया जाएगा।
क्या है ई-3 और ई-5 की खासियत?
ई-3 सीरीज ‘मिनी शिंकानसेन’ श्रेणी की ट्रेन है, जो जापान में कई वर्षों से सुचारू रूप से सेवा में है। इसमें उत्कृष्ट एयरोडायनामिक डिजाइन, बेहतर राइड क्वालिटी और उच्च स्तरीय सुरक्षा फीचर्स हैं। वहीं, ई-5 सीरीज भारत के लिए सबसे उपयुक्त मॉडल मानी जा रही है, जिसकी अधिकतम गति 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक है।
ई-10: भविष्य की बुलेट ट्रेन
इन परीक्षणों के आधार पर जापान भारत के लिए ई-10 सीरीज विकसित करेगा, जो 400 किलोमीटर प्रति घंटे की संभावित गति के साथ चल सकेगी। इससे भारत में बुलेट ट्रेन तकनीक को समझने, अपनाने और भविष्य में विकसित करने में मदद मिलेगी।
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50 वर्षों की फंडिंग योजना, मात्र 0.1% ब्याज
इस परियोजना को जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (JICA) द्वारा 80% तक के लोन से वित्तीय सहायता मिल रही है। इस लोन की ब्याज दर मात्र 0.1% है और इसका भुगतान भारत को 50 वर्षों में करना होगा।
सिर्फ तकनीक नहीं, दोस्ती की मिसाल
शिंकानसेन सिर्फ एक तेज रफ्तार ट्रेन नहीं, बल्कि समय की पाबंदी, सुरक्षा और इंजीनियरिंग दक्षता का प्रतीक है। इससे पहले जापान ने ताइवान को भी टेस्ट ट्रेन गिफ्ट की थी। अब भारत को यह सौगात देकर जापान ने अपनी रणनीतिक साझेदारी और मित्रता को और गहरा किया है।
यह पहल भारत-जापान के बढ़ते सहयोग को दर्शाने के साथ-साथ भारत की परिवहन प्रणाली के भविष्य को भी दिशा देने वाली साबित होगी।