


नई दिल्ली। भारत में टोल टैक्स वसूली के तरीके में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संकेत दिए हैं कि सरकार जल्द ही एक नई टोल नीति लेकर आने वाली है, जिससे फास्टैग (FASTag) प्रणाली का स्थान एक जीपीएस आधारित टोल संग्रह प्रणाली ले सकती है।
1 मई से नया सिस्टम लागू होने की संभावना
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार 1 मई 2025 से देशभर में जीपीएस आधारित टोल प्रणाली लागू कर सकती है। मौजूदा समय में फास्टैग के जरिए टोल वसूली होती है, लेकिन आने वाले समय में यह व्यवस्था बदलेगी।
गडकरी का बयान
एक कार्यक्रम में बोलते हुए नितिन गडकरी ने कहा,
“केंद्र सरकार जल्द ही एक नई टोल नीति लेकर आएगी। मैं फिलहाल ज्यादा नहीं कह सकता, लेकिन अगले 15 दिनों में नीति की घोषणा हो जाएगी। इसके लागू होते ही टोल से जुड़ी शिकायतों की आवश्यकता नहीं रहेगी।”
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जीपीएस आधारित टोल प्रणाली कैसे काम करेगी?
इस प्रणाली में गाड़ियों में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) नामक एक उपकरण लगाया जाएगा, जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के जरिए वाहन की आवाजाही को ट्रैक करेगा।
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जितनी दूरी वाहन हाईवे पर तय करेगा, उसी के अनुसार टोल शुल्क लिया जाएगा।
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यह राशि सीधे वाहन चालक के बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से कटेगी।
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इस व्यवस्था में टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।
फास्टैग से जीपीएस तक: एक तकनीकी बदलाव
2016 में शुरू हुए फास्टैग ने टोल प्लाजा पर लंबी कतारों से राहत दिलाई थी, लेकिन समय के साथ इसमें तकनीकी समस्याएं, गलत इस्तेमाल और भीड़ जैसी दिक्कतें सामने आईं। इन्हीं चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार अब उन्नत तकनीक की ओर बढ़ रही है।

इस सिस्टम के संभावित लाभ
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सटीक टोल शुल्क: अब टोल दूरी के आधार पर लिया जाएगा, जिससे ओवरचार्जिंग की समस्या खत्म होगी।
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कम ट्रैफिक जाम: टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे यातायात सुचारु रहेगा।
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पारदर्शिता: पूरा सिस्टम ट्रैक योग्य और स्वचालित होगा, जिससे गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होगी।
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पर्यावरण को लाभ: स्मूथ ट्रैफिक से वाहनों के रुकने-चलने की प्रक्रिया कम होगी, जिससे प्रदूषण घटेगा।
चरणबद्ध तरीके से होगा क्रियान्वयन
इस सिस्टम को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) लागू करेगा। शुरुआत वाणिज्यिक वाहनों जैसे ट्रकों और बसों से की जाएगी, फिर इसे धीरे-धीरे निजी वाहनों पर लागू किया जाएगा।
डाटा गोपनीयता और सुरक्षा
जीपीएस आधारित यह प्रणाली भारत के अपने NavIC (IRNSS) सैटेलाइट सिस्टम पर आधारित होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नागरिकों का डाटा देश के भीतर ही सुरक्षित रहे।
वाहन मालिकों को तैयारी की सलाह
सरकार वाहन मालिकों से अपील कर रही है कि वे समय रहते ओबीयू डिवाइस अपनी गाड़ियों में लगवाएं। इसके लिए सभी दिशा-निर्देश और सहायता जल्द जारी की जाएगी।
निष्कर्ष
भारत के टोलिंग सिस्टम में यह बदलाव न केवल तकनीकी प्रगति की दिशा में कदम होगा, बल्कि यह यात्रियों को तेज, पारदर्शी और परेशानी मुक्त सफर का अनुभव देगा। FASTag की जगह लेता यह नया सिस्टम भविष्य की स्मार्ट और डिजिटल इंडिया की ओर एक अहम पहल है।