


यह रिपोर्ट बाजार विशेषज्ञों के विश्लेषण और अनुमानों पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत जानकारी का उद्देश्य पाठकों को सोने की कीमतों से जुड़े संभावित उतार-चढ़ाव और उनके पीछे के कारणों को समझाना है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें, क्योंकि बाजार की परिस्थितियाँ तेजी से बदल सकती हैं और किसी भी भविष्यवाणी को अंतिम नहीं माना जा सकता।
नई दिल्ली। हाल के दिनों में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है, जिससे निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों में हलचल है। देश के वायदा बाजार (MCX) में सोना 91,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया, जबकि दिल्ली सर्राफा बाजार में यह 94,000 रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छू चुका है। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सोना जल्द ही 1 लाख रुपये के स्तर को पार कर सकता है। लेकिन इसी बीच एक चौंकाने वाला अनुमान सामने आया है, जिसने बाजार में बहस छेड़ दी है।
अमेरिकी वित्तीय सेवा फर्म मॉर्निंगस्टार के स्ट्रैटेजिस्ट जॉन मिल्स ने दावा किया है कि आने वाले वर्षों में सोने की कीमतों में करीब 38% तक गिरावट आ सकती है। उनके अनुसार, भारत में सोना 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक सस्ता हो सकता है।
गिरावट के तर्क
मिल्स ने इस गिरावट के पीछे तीन प्रमुख कारण गिनाए हैं:
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वैश्विक सप्लाई में इजाफा – ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में गोल्ड प्रोडक्शन बढ़ा है। रिसाइकिल्ड गोल्ड की सप्लाई भी बढ़ रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 2024 में गोल्ड रिजर्व 9% बढ़कर 2,16,265 टन पहुंच चुका है।
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डिमांड में संभावित गिरावट – पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था, लेकिन अब 71% बैंक अपनी खरीदारी स्थिर या कम करने की योजना में हैं।
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मार्केट सैचुरेशन – गोल्ड सेक्टर में मर्जर और अधिग्रहण 32% तक बढ़े हैं, जिससे बाजार में संतृप्ति का संकेत मिलता है।
तेजी के पक्ष में भी मजबूत तर्क
हालांकि, हर विश्लेषक इस गिरावट से सहमत नहीं है। बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, वहीं गोल्डमैन सैक्स इसे 2025 के अंत तक 3,300 डॉलर प्रति औंस तक जाता देख रहा है।
इन अनुमानों का आधार है:

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अमेरिकी ब्याज दरों में संभावित कटौती
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बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितता
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केंद्रीय बैंकों की लगातार हो रही खरीदारी
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सेफ हैवन एसेट के रूप में गोल्ड की विश्वसनीयता
बाजार की मौजूदा स्थिति
हालिया तेजी का मुख्य कारण रहा है वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, महंगाई और भू-राजनीतिक तनाव। ट्रेड वॉर और अमेरिकी चुनावी अस्थिरता ने भी निवेशकों को गोल्ड की ओर खींचा है। हालांकि, सोने की कीमतें अब अपने पीक से करीब 1,000 रुपये नीचे हैं, जो बाजार में उतार-चढ़ाव का संकेत देती हैं।
फैक्ट चेक: मिल्स का दावा कितना सही?
जॉन मिल्स के 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के दावे को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है। मिल्स के तर्क सप्लाई और डिमांड पर आधारित हैं, लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2024 के अंत में ही केंद्रीय बैंकों ने 333 टन सोना खरीदा, जो पिछले वर्ष से 54% अधिक है। इससे डिमांड में गिरावट की बात पूरी तरह सही नहीं ठहरती।
इसके अलावा, बैंक ऑफ अमेरिका और गोल्डमैन सैक्स जैसे संस्थानों के पूर्वानुमान मिल्स के दावे के बिल्कुल उलट हैं। MCX पर वर्तमान में सोना 90,470 रुपये पर कारोबार कर रहा है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 3,100 डॉलर प्रति औंस से ऊपर हैं – जो अब भी तेजी की स्थिति दिखाती हैं।
निष्कर्ष
मिल्स की भविष्यवाणी बाजार की एक संभावित दिशा है, लेकिन इसे अंतिम सत्य नहीं माना जा सकता। सोने की कीमतें कई जटिल वैश्विक कारकों से प्रभावित होती हैं और अस्थिरता का दौर लंबे समय तक रह सकता है। फिलहाल के लिए, सोना अब भी निवेश के लिए एक मजबूत विकल्प बना हुआ है।