


जयपुर: राजस्थान में अब अवैध रूप से निर्मित भवनों में किसी भी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसमें शहरी निकायों द्वारा जारी व्यापार लाइसेंस, विवाह स्थल, होटल-रेस्तरां, खाद्य विभाग के लाइसेंस सहित अन्य वाणिज्यिक स्वीकृतियां शामिल हैं।
नए आदेश जारी
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति वाणिज्यिक लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, तो संबंधित विभाग को पहले शहरी निकाय से भवन की स्वीकृति, निर्माण की स्थिति और भवन उपनियमों के अनुपालन की जानकारी लेनी होगी। इसी आधार पर ही लाइसेंस स्वीकृत किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद, शहरी विकास और स्वायत्त शासन विभाग ने नए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश राज्य के सभी विकास प्राधिकरणों, आवास मंडलों, नगर सुधार न्यासों, नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं पर लागू होगा।
लाखों इमारतें नियमों के खिलाफ
राज्य में लाखों ऐसी इमारतें हैं जो बिना स्वीकृत नक्शे के बनी हुई हैं या स्वीकृत नक्शे के विपरीत बनाई गई हैं। वर्तमान में, कई भवनों में बिना अनुमति के व्यापारिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। अब नए नियमों के तहत, इन अवैध भवनों को किसी भी प्रकार की वाणिज्यिक अनुमति नहीं दी जाएगी।
- Advertisement -

बिल्डर और खरीदारों के लिए कड़े प्रावधान
नए आदेशों के तहत, निर्माणाधीन भवनों के लिए अधिवास प्रमाण पत्र (ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट) प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। बिना अधिवास प्रमाण पत्र के न तो बैंक और वित्तीय संस्थान ऋण प्रदान करेंगे, न ही बिजली और पानी की आपूर्ति की जाएगी।
बिल्डर भी निर्माण पूरा होने से पहले खरीदारों को स्वामित्व अधिकार हस्तांतरित नहीं कर पाएंगे। आदेश के तहत, आवेदकों को भवन का नक्शा जारी करते समय एक वचन पत्र (अंडरटेकिंग) भी देना होगा कि वे सभी नियमों का पालन करेंगे।
हालांकि सरकार ने कड़े नियम लागू कर दिए हैं, लेकिन इनका पालन कराना निकायों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।