बीकानेर के गंगाशहर क्षेत्र में रियासतकाल से चली आ रही मौसम पूर्वानुमान की परंपरा के तहत इस वर्ष मानसून कमजोर रहने की भविष्यवाणी की गई है। होलिका दहन के दिन गुरुवार को पानी से भरी मटकी को पांच फीट गहराई से निकाला गया। सूखी मटकी मिलने के बाद सर्वसमाज ने मानसून कमजोर रहने की घोषणा की।
चांदमलजी के बाग के पास खारिये कुंए के समीप यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। हर वर्ष होलिका दहन के मौके पर पानी से भरी मटकी जमीन में दबाई जाती है, जिसे अगले वर्ष निकाला जाता है। मटकी में पानी का स्तर आने वाले मानसून का संकेत देता है।
इस बार सूखी मटकी निकलने से किसान और पशुपालक दोनों चिंतित हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि कमजोर मानसून से चारे का संकट गहरा सकता है।
गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने फोन पर उत्सुकतावश पूर्वानुमान जानने के लिए संपर्क किया। इसके बाद नई मटकी को फिर से जमीन में दबाने की विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। क्षेत्रवासियों का मानना है कि यह परंपरा अब तक सटीक साबित हुई है और यह आने वाले समय के लिए एक संकेत है।