


बीकानेर की होली में एक अनूठी और पुरानी परंपरा देखने को मिलती है। धुलंडी के दिन हर्ष जाति के एक कुंवारे युवक को विष्णुरूपी दूल्हा बनाकर उसकी बारात निकाली जाती है। इस बार यह बारात 14 मार्च 2025 को निकलेगी।
दूल्हा पारंपरिक खिड़किया पाग, ललाट पर पेवड़ी और कुमकुम अक्षत तिलक, पीताम्बर और पुष्पहार पहने हुए होता है। बारात में समाज, मोहल्ला और हर्ष जाति के लोग शामिल होते हैं। बारात शंखध्वनि और मांगलिक गीतों के साथ शहर के विभिन्न मोहल्लों और चौकों से गुजरती है।
इस परंपरा में दूल्हा लगभग 13 मकानों पर पहुंचता है, जहां महिलाएं उसे पोखने की रस्म निभाती हैं और बारातियों का स्वागत करती हैं। हालांकि, इसमें न कोई विवाह होता है और न ही फेरे। बारात अंत में वापस मोहता चौक लौट आती है।

करीब तीन शताब्दी पुरानी इस परंपरा का उद्देश्य जातियों के बीच प्रेम, सद्भाव और एकता को बनाए रखना है। यह परंपरा बीकानेर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जो हर साल उल्लास और उमंग के साथ मनाई जाती है।