


बीकानेर में होली के अवसर पर आयोजित होने वाली रम्मतों में ‘हेडाऊ मेहरी’ रम्मत का विशेष महत्व है। यह रम्मत प्रेम और श्रृंगार रस से भरपूर है, जिसमें पारंपरिक गीत, संवाद और दोहे दर्शकों को लुभाते हैं। यह राजसी ठाठ-बाट और राजमहल के दृश्यों को दर्शाता है, जिसे हेडाऊ, नुरसा और मेहरी जैसे प्रमुख पात्रों के माध्यम से मंचित किया जाता है।
‘हेडाऊ मेहरी’ का मंचन होलाष्टक के दौरान बारह गुवाड़ और मरुनायक चौक पर होता है। इस आयोजन के लिए शिव जबरेश्वर नाट्य एवं कला संस्थान और श्री मरुनायक कला केंद्र के तहत कलाकार तैयारियों में जुटे हुए हैं। वरिष्ठ कलाकारों के मार्गदर्शन में रम्मत उस्ताद और कलाकार रियासत काल से चली आ रही इस परंपरा को सजीव करते हैं।
बारह गुवाड़ चौक पर 12 मार्च की मध्यरात्रि में भगवान गणेश की वंदना से रम्मत का शुभारंभ होगा। मंचन में खाकी, बोहरा-बोहरी, जाट-जाटणी जैसे पात्र शगुन मनाते हुए रम्मत को जीवंत बनाएंगे। इसी तरह, मरुनायक चौक पर मां भवानी स्वरूप की वंदना से रम्मत शुरू होगी। यहां नगाड़ा वादन और पारंपरिक गायन शैली की विशिष्ट कला देखने को मिलेगी।

रम्मतों के लिए अभ्यास जोरों पर है, जिसमें बी आर सूरदासाणी, शिव शंकर गज्जाणी, राम सेवग जैसे अनुभवी कलाकार सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
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यह आयोजन न केवल बीकानेर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि स्थानीय और दूर-दराज के लोगों को होली के त्योहार पर सामुदायिक आनंद और पारंपरिक धरोहर का अनुभव कराने का भी एक माध्यम बनता है।