


रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन
रामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (PGI) में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे और चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बावजूद 12 फरवरी 2025 की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही अयोध्या सहित पूरे संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई।
भक्ति और सेवा का जीवन
आचार्य सत्येंद्र दास जी ने वर्ष 1993 से श्रीरामलला की पूजा और सेवा का कार्यभार संभाला था। वे अपनी सरलता, भक्ति और निष्ठा के लिए जाने जाते थे। राम मंदिर आंदोलन से लेकर मंदिर निर्माण तक उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अयोध्या के संत समाज में उनकी विशेष पहचान थी और वे श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत सम्मानित थे।
स्वास्थ्य समस्याएं और निधन
आचार्य सत्येंद्र दास जी कई महीनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें ब्रेन हेमरेज की समस्या थी, जिसके चलते उन्हें लखनऊ के PGI अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों ने उनकी सेहत में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन 12 फरवरी की सुबह माघ पूर्णिमा के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली।
अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
उनका अंतिम संस्कार अयोध्या में पूरे विधि-विधान के साथ किया जाएगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी, संत समाज, राजनेता और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे। राम मंदिर परिसर में विशेष श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी, जिसमें उनकी स्मृति में प्रार्थना और भजन-कीर्तन किया जाएगा।
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नेताओं और संत समाज की श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“आचार्य सत्येंद्र दास जी का निधन सनातन धर्म और अयोध्या के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन भक्ति और सेवा का प्रतीक था। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।”

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा,
“हमने एक महान संत को खो दिया। उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।”
राम मंदिर आंदोलन में योगदान
- उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का नेतृत्व किया।
- बाबरी विध्वंस के समय भी वे मंदिर परिसर में पूजा कर रहे थे।
- राम मंदिर निर्माण प्रक्रिया में सभी धार्मिक अनुष्ठानों को उन्होंने संपन्न कराया।
- वे हमेशा अयोध्या में शांति और सौहार्द बनाए रखने के पक्षधर रहे।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
राम भक्तों के लिए आचार्य सत्येंद्र दास जी सिर्फ एक पुजारी नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति के प्रतीक थे। उनके निधन से मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु भावुक हो गए।
एक भक्त ने कहा, “वे हमारे लिए पिता समान थे। उनकी भक्ति और सादगी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।”
आचार्य सत्येंद्र दास जी का निधन अयोध्या और पूरे संत समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान राम मंदिर आंदोलन, मंदिर की सेवा और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में अविस्मरणीय रहेगा।