



सीएम योगी के इस्तीफे की मांग के बाद शंकराचार्य पर संतों का प्रहार, कुंभ से बाहर करने की उठी आवाज
प्रयागराज: महाकुंभ में भगदड़ की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग करने वाले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद अब संतों के निशाने पर आ गए हैं। संत समाज ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए महाकुंभ से बाहर करने की मांग की है।
मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में भगदड़ मचने के बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इस घटना के लिए सीधे सीएम योगी को जिम्मेदार ठहराया था और नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की मांग की थी। उनके इस बयान के बाद संतों और महामंडलेश्वरों ने एकजुट होकर उनकी आलोचना की और कुंभ में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई।
संतों की संकल्प सभा में पारित हुआ निंदा प्रस्ताव
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के तत्वावधान में प्रयागराज के सेक्टर पांच में राधा प्रसाद देव जू महाराज के पंडाल में विराट संकल्प सभा आयोजित की गई। इसमें देशभर से प्रमुख संतों ने भाग लिया। सभा का शुभारंभ महामंडलेश्वर हरिदास संप्रदाय के पीठाधीश्वर राधा प्रसाद देव जी महाराज, अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष विद्यानंद महाराज, और श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस के पक्षकार पंडित दिनेश फलाहारी सहित अन्य संतों ने किया।
संतों ने संकल्प सभा में शंकराचार्य के बयान की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया और उन्हें महाकुंभ से बाहर करने तथा भविष्य में कुंभ में प्रवेश न देने की मांग की।
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कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के लिए भी उठी आवाज
सभा में संतों ने कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन मुक्त करने का संकल्प भी लिया। पंडित दिनेश फलाहारी ने कहा कि जब तक भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मुक्त नहीं होगी, भारत अपने परम वैभव को प्राप्त नहीं कर सकता। सभा में मौजूद संतों और श्रद्धालुओं ने 108 बार हाथ उठाकर इस संकल्प को दोहराया।
संतों ने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद जैसे तथाकथित शंकराचार्य कुंभ को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें महाकुंभ से निष्कासित किया जाना चाहिए और भविष्य में उन्हें कोई स्थान नहीं मिलना चाहिए।