



जोधपुर: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के वैज्ञानिकों ने एक नया और प्रभावी खेती मॉडल विकसित किया है, जो थार मरुस्थल की कठिन परिस्थितियों में किसानों के लिए सहायक साबित हो सकता है। काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी शांतरा ने बताया कि इस मॉडल को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के 70 लाख रुपए के प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया गया है।
यह मॉडल खासतौर पर जलवायु परिवर्तन को देखते हुए तैयार किया गया है, जहां एक ही खेत में तालाब बना कर मानसून की बारिश का पानी इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद इस पानी का इस्तेमाल सालभर ड्रिप इरीगेशन के जरिए किया जा सकता है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक खेती पर आधारित है। खेत में लगे सोलर पंप से पानी को सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा।
कृषि में जलवायु परिवर्तन का असर
राजस्थान में जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के दिन घटे हैं, लेकिन बारिश की तीव्रता में वृद्धि हुई है। एक ही दिन में 50 से 80 मिलीमीटर बारिश हो रही है, जिससे पानी का उचित प्रबंधन आवश्यक हो गया है। इस मॉडल के अंतर्गत खेत के निचले हिस्से में तालाब बनाए जाते हैं, जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा होता है और सोलर पंप से उसे सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है।
प्रयोग और परीक्षण:
इस मॉडल का परीक्षण जोधपुर के गजसिंहपुरा और सोढाणियां गांव में किया गया था, और इसमें लगभग 4 साल का समय लगा। डॉ. शांतरा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से काजरी अब किसानों तक इस मॉडल को पहुंचाने की योजना बना रहा है।
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सरकार से सब्सिडी:
यह मॉडल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इसे लागू करने के लिए 3 से 5 हॉर्सपावर का सोलर पंप लगाने का खर्चा लगभग 2 से 3 लाख रुपए है, और तालाब बनाने का खर्चा 80 हजार से 1 लाख तक आता है। इसके अलावा, सरकार इस पर सब्सिडी भी दे रही है, जिससे किसानों का खर्च कम होगा।
अतिरिक्त आय के अवसर:
काजरी के निदेशक डॉ. ओपी यादव ने बताया कि यह मॉडल जलवायु परिवर्तन के अनुरूप है, और किसानों को अतिरिक्त फसलें उगाकर अपनी आय बढ़ाने का मौका मिलेगा। इससे किसानों को न केवल सिंचाई का बेहतर तरीका मिलेगा, बल्कि वे अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं।
यह नया मॉडल राजस्थान के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है, खासकर जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही कृषि समस्याओं से जूझ रहे किसानों के लिए।