



जयपुर: जयपुर में एक संगठित गिरोह की शातिर साजिश का खुलासा हुआ है, जिसने पुलिस को चकमा देने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल किया था। यह गिरोह इतना चालाक था कि लोकेशन ट्रैकिंग से बचने के लिए VPN और वाईफाई कॉलिंग का सहारा लेते थे। इस गैंग के सदस्य साधारण कॉल्स से बात नहीं करते थे, बल्कि मैसेंजर ऐप्स के जरिए एक-दूसरे से जुड़े रहते थे।
क्या था मामला?
जयपुर के मोती डूंगरी थाना क्षेत्र की कानोता बाग कॉलोनी में 75 वर्षीय मंजू कोठारी के घर पर डकैती की वारदात को अंजाम दिया गया था। रात को जब पूरा शहर गहरी नींद में था, तब गिरोह ने मंजू के घर घुसकर 62 लाख के गहने और नकदी लूट ली। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इस लूट की साजिश नेपाल के दो अपराधियों ने रची थी।
गिरोह के सदस्य मकदुल दमाई (40) और दान बहादुर बोहरा (30) ने इस वारदात को अंजाम दिया। पूछताछ में यह सामने आया कि कई हफ्तों से गिरोह इस लूट की साजिश को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था। नौकरानी सावित्री गिरोह का महत्वपूर्ण हिस्सा थी, और वह मंजू कोठारी के घर में बडी चालाकी से घुसी थी। वह केवल नौकरानी नहीं थी, बल्कि गिरोह की आंख और कान थी।
लूट के बाद का तरीका:
गैंग ने लूट की रात डेढ़ बजे वारदात को अंजाम दिया। उन्होंने मंजू कोठारी, उनकी नौकरानी और नौकर संदीप को बंधक बना लिया। सभी के मोबाइल फोन छीनकर उनसे संपर्क तोड़ दिया गया, ताकि पुलिस को कोई सूचना न मिल सके। फिर कुछ ही मिनटों में उन्होंने गहनों और नकदी को बैग में भरकर फरार होने की योजना बनाई। एक अन्य साथी उनकी मदद के लिए कार लेकर मौके पर मौजूद था।
- Advertisement -
नेपाल की ओर फरार:
वारदात के बाद गिरोह पहले से ही योजना बना चुका था कि कैसे बच निकलना है। महज पांच घंटे में वे मथुरा पहुंच गए, फिर लखनऊ, बरेली और उत्तराखंड होते हुए नेपाल बॉर्डर तक पहुंच गए। गिरोह को नेपाल के रास्तों और कच्चे ट्रैक्स का पूरी जानकारी थी, जिससे वे महाकाली नदी पार कर नेपाल पहुंच गए।
टेक्नोलॉजी का शातिर इस्तेमाल:
इस गिरोह ने अपनी पहचान छिपाने और पुलिस से बचने के लिए अत्याधुनिक तकनीकी उपायों का सहारा लिया था। सभी सदस्य VPN और WiFi कॉलिंग के माध्यम से ही एक-दूसरे से संवाद करते थे। यह तकनीक साइबर क्राइम में आमतौर पर उपयोग होती है, जिससे लोकेशन ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

गैंग के सदस्य रात के समय, खासकर सवा 9, सवा 10, और सवा 11 बजे के बीच कॉल करते थे, जिसे वे अपना ‘गुडलक साइन’ मानते थे। इस समय के दौरान वे एक-दूसरे से संपर्क करते थे, इससे पहले कि वे कोई महत्वपूर्ण कदम उठाते थे।
पुलिस ने दो आरोपियों को दबोचा:
जयपुर पुलिस की तेज़तर्रार टीम ने सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन की मदद से गिरोह के दो मुख्य आरोपियों मकदुल दमाई और दान बहादुर बोहरा को नेपाल बॉर्डर के पास उत्तराखंड के धारचूला में गिरफ्तार किया। हालांकि, गिरोह की मास्टरमाइंड नौकरानी सावित्री अब भी फरार है।
गिरोह का तरीका:
इस गिरोह की एक और खासियत यह थी कि वे कभी एक स्थान पर नहीं रुकते थे। एक नया शहर चुनने के बाद, वे वहां किराए पर घर लेते थे और फिर आसपास के इलाकों में रेकी करते थे। इसके बाद किसी बुजुर्ग महिला या दंपति को अपना शिकार बनाते थे। हर वारदात के लिए वे नया मोबाइल नंबर और सिम कार्ड लेते थे, ताकि पुलिस की जांच से बच सकें। पुलिस को शक है कि इस गैंग ने कर्नाटक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी ऐसी लूट की घटनाएं की हैं।
हालांकि दो मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं, लेकिन पुलिस को अब भी अन्य फरार आरोपियों और सावित्री की तलाश है। नेपाल पुलिस की मदद से जयपुर पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास कर रही है।