राजस्थान विधानसभा का तीसरा सत्र:
राजस्थान विधानसभा का तीसरा सत्र 31 जनवरी 2025 से शुरू होगा, जो इस बार हंगामेदार होने की संभावना है। भाजपा सरकार जहां धर्मांतरण, भूजल और मीसा बिल जैसे प्रमुख विधेयक पारित करने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए शैडो कैबिनेट का गठन किया है।
कांग्रेस की शैडो कैबिनेट:
सूत्रों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष टीकारमा जूली और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में इस शैडो कैबिनेट का गठन हुआ है। इसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी दी गई है ताकि वे पूरी तैयारी के साथ सरकार की नीतियों और फैसलों पर सवाल उठा सकें।
कांग्रेस के निशाने पर ये मुद्दे:
- नए जिलों और संभागों की निरस्ति: कांग्रेस सरकार से सवाल करेगी कि हाल ही में 9 जिलों और 3 संभागों को क्यों निरस्त किया गया।
- एसआई भर्ती पेपर लीक मामला: इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता को सदन में उठाया जाएगा।
- महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा: समीक्षा कमेटी का गठन और स्कूलों की स्थिति पर चर्चा होगी।
- ईआरसीपी परियोजना: सरकार से परियोजना पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग होगी।
- यमुना जल समझौता और बढ़ते अपराध: इन मुद्दों को सदन में जोर-शोर से उठाया जाएगा।
- गहलोत सरकार की योजनाओं का नाम बदलना: कांग्रेस इसे सत्ता पक्ष का राजनीतिक एजेंडा करार देकर विरोध जताएगी।
किसे मिली कौन सी जिम्मेदारी?
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- गृह, वित्त और स्वायत्त शासन: शांति धारीवाल
- ऊर्जा और आयुर्वेद: हरिमोहन शर्मा
- कृषि और किसान: श्रवण कुमार
- युवा और खेल: अशोक चांदना
- पर्यटन और पशुपालन: रतन देवासी
सत्र में तीखे टकराव की संभावना:
कांग्रेस के इन मुद्दों के जरिए सरकार पर हमलावर होने की संभावना है। खासकर एसआई भर्ती पेपर लीक, गहलोत सरकार की योजनाओं के नाम बदलने और नए जिलों की निरस्ति जैसे विषय सत्र में गर्मागर्म बहस का कारण बन सकते हैं।
निष्कर्ष:
कांग्रेस की शैडो कैबिनेट ने यह संकेत दिया है कि विधानसभा सत्र में भाजपा सरकार को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। विभागवार जिम्मेदारियां तय कर विपक्ष ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। अब देखना यह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच यह बहस किस ओर रुख करती है।

