संभल में जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी की संपत्ति पर विवाद के बाद प्रशासन ने शहर की सभी वक्फ संपत्तियों की जांच का निर्णय लिया है। जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी का निर्माण जारी है, जिसे “सत्यव्रत” नाम दिया गया है। कुछ लोगों ने दावा किया था कि चौकी का निर्माण वक्फ संपत्ति पर हो रहा है।
दस्तावेजों की जांच और नई जानकारी
इस विवाद के चलते प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच की गई, लेकिन उनमें वैधता नहीं पाई गई। नगर पालिका के रिकॉर्ड के अनुसार, भूमि सरकारी संपत्ति है। इसके बावजूद, यह पाया गया कि शहर में कई वक्फ संपत्तियां हैं, जिन्हें कथित रूप से खुर्दबुर्द किया गया है।
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि वक्फ संपत्तियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- वक्फ अल औलाद: ऐसी संपत्तियां जो किसी व्यक्ति या परिवार के कल्याण के लिए होती हैं।
- वक्फ अलल खैर: ऐसी संपत्तियां जो आम जनता के कल्याण के लिए होती हैं और वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में होती हैं।
दोनों ही प्रकार की संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकता। शहर में वक्फ संपत्तियों की जांच के लिए एक दो-सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जो इनकी वैधता की पुष्टि करेगी।
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एआईएमआईएम अध्यक्ष का बयान
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए सवाल किया कि क्या वह कुवैती नेताओं को संभल में वक्फ संपत्ति पर बन रही पुलिस चौकी दिखा सकते हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि चौकी का निर्माण वक्फ संपत्ति पर किया जा रहा है और यूपी सरकार जानबूझकर विवाद पैदा कर रही है।
वकील और प्रशासन की प्रतिक्रिया
राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिवक्ता मुस्तकीम अहमद ने बताया कि वक्फ संपत्तियां बेची नहीं जा सकतीं और यदि इनमें किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी। संभल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के विवाद में जिम्मेदार लोगों की मिलीभगत हो सकती है।
डीएम ने आश्वासन दिया कि वक्फ संपत्तियों की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जो दस्तावेज सामने आए हैं, उनकी गहन जांच की जा रही है।