बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव का आगाज गुरुवार को पारंपरिक अंदाज में हुआ।
- विधायक जेठानंद व्यास ने लक्ष्मीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर भगवान गणेश को पीले चावल अर्पित करते हुए उत्सव का न्यौता दिया।
- सजे-धजे ऊंट और कच्छी घोड़ी नृत्य कलाकारों के साथ लक्ष्मीनाथ मंदिर से यात्रा शुरू हुई, जो रामपुरिया हवेलियों तक पहुंची।
उत्सव की खास बातें:
- शहरी परकोटे की संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा:
- विधायक व्यास ने देशी-विदेशी पर्यटकों को बीकानेर की अनोखी संस्कृति से परिचित कराने के लिए शहरी क्षेत्र में भी कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही।
- तैयारियों को अंतिम रूप:
- अतिरिक्त कलक्टर (नगर) रमेश देव ने आमजन के साथ पैदल चलकर उत्सव का न्यौता दिया।
तीन दिवसीय कार्यक्रम:
- पहला दिन (10 जनवरी):
- सुबह 8 बजे: हैरिटेज वॉक।
- सुबह 10 बजे: मेहंदी और रंगोली प्रतियोगिता (सूरसागर)।
- दोपहर 1 बजे: हैण्डीक्राफ्ट और फूड फेस्टिवल (धरणीधर मैदान)।
- शाम 7 बजे: सांस्कृतिक संध्या।
- दूसरा दिन (11 जनवरी):
- सुबह 9 बजे: ऊंट प्रतियोगिताएं (राष्ट्रीय ऊष्ट अनुसंधान केन्द्र)।
- दोपहर 3.30 बजे: शोभायात्रा (जूनागढ़)।
- शाम 4.30 बजे: मिस मरवण, मिस्टर बीकाणा और ढोला-मरवण शो (डॉ. करणी सिंह स्टेडियम)।
- शाम 7 बजे: फॉक नाइट।
- तीसरा दिन (12 जनवरी):
- सभी कार्यक्रम रायसर में।
उत्सव का उद्देश्य:
- संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन: बीकानेर की संस्कृति को देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाना।
- पर्यटन को बढ़ावा: ऊंट से जुड़ी प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पर्यटन को नई ऊंचाइयां देना।