नागौर (चौसला) – राजस्थान के नागौर और जयपुर जिलों की सीमा पर एक ऐसा अनोखा मकान है, जो कागजों में दो जिलों में बंटा हुआ है। इस मकान का एक हिस्सा नागौर जिले में है, जबकि इसका प्रवेशद्वार जयपुर जिले में खुलता है। यह अनोखा मकान 2010 में जयपुर जिले के त्योद गांव के रहने वाले सुवाराम चौपड़ा ने बनवाया था। मकान की दहलीज पर कदम रखते ही व्यक्ति एक जिले से दूसरे जिले में पहुंच जाता है।
एक घर में तीन जिले
मकान में रहने वाले तीन भाइयों में से दो (सुवाराम और कानाराम) के सरकारी दस्तावेज जयपुर जिले के हैं, जबकि तीसरे भाई (मूनाराम) के दस्तावेज नागौर जिले के हैं। हालांकि, मकान ने परिवार को कागजों पर बांट दिया है, लेकिन परिवार के दिलों की दूरियां नहीं बढ़ी हैं। तीनों भाई अपने परिवारों के साथ एकजुट होकर रहते हैं।
सरकारी दस्तावेज और सुविधाओं में चुनौती
परिवार को सरकारी दस्तावेज बनवाने के लिए अलग-अलग जिलों में जाना पड़ता है। बिजली कनेक्शन लेने में भी दिक्कतें आईं, क्योंकि कनेक्शन जयपुर जिले से लिया गया, लेकिन बिजली का बिल नागौर जिले में जमा होता है।
सरहद पर रहने के फायदे
दो जिलों की सीमा पर रहने का एक अनोखा फायदा भी है। पेट्रोल-डीजल के दामों में अंतर के कारण लोग सस्ते दाम पर ईंधन खरीदने के लिए जयपुर जिले के पेट्रोल पंप का रुख करते हैं।
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दिलचस्प प्रतिक्रिया
जब कोई बाहरी व्यक्ति घर पर आता है और यह जानता है कि मकान के बाहर जयपुर जिले की सीमा शुरू होती है, तो वे हैरान रह जाते हैं। यह मकान राजस्थान के जिला विभाजन का अनूठा उदाहरण है।
निष्कर्ष
यह अनोखा मकान भले ही कागजों में दो जिलों में बंटा हो, लेकिन यह परिवार एकता और सह-अस्तित्व का प्रतीक है।