संभल के मोहल्ला लक्ष्मण गंज में बावड़ी का रहस्य धीरे-धीरे खुलने लगा है। लगातार पांच दिनों की खुदाई में बावड़ी की ऊपरी मंजिल लगभग पूरी तरह से साफ हो चुकी है। बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने बावड़ी का सर्वे किया।
बावड़ी का इतिहास और खुदाई का सफर
मोहल्ला लक्ष्मण गंज में एक खाली प्लॉट में यह बावड़ी मिली, जहां खुदाई से लाल पत्थर का फर्श और छह दरवाजे स्पष्ट दिखने लगे हैं। इनमें से पांच दरवाजे सादे हैं और इनके पीछे कमरे जैसे गलियारे नजर आ रहे हैं। अनुमान है कि बावड़ी की ऊपरी मंजिल के नीचे एक और मंजिल है, और उससे नीचे एक कुआं है, जिसके चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं।
पुरातात्विक महत्व
- बांके बिहारी मंदिर: 17 दिसंबर को 150 साल पुराना बांके बिहारी मंदिर इसी स्थान पर मिला था।
- सनातन सेवक संघ का योगदान: संघ के कार्यकर्ताओं ने इस बावड़ी के अस्तित्व का दावा किया और डीएम को प्रार्थना पत्र सौंपा।
- एएसआई का सर्वे: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खुदाई स्थल का दौरा किया और बावड़ी के डिजाइन और संरचना का अध्ययन किया।
खुदाई में जुटी टीम
नगर पालिका परिषद की 50 लोगों की टीम, जिसमें दो सेनेटरी इंस्पेक्टर, एक राजस्व निरीक्षक, एक जेई, और 30 मजदूर शामिल हैं, बावड़ी की खुदाई में लगी हुई है। इस कार्य में एक जेसीबी मशीन और तीन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का भी उपयोग किया जा रहा है।
खोज का महत्व
यह पुरातात्विक खोज इतिहास और वास्तुकला में रुचि रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है। खुदाई से यह स्पष्ट हुआ है कि इस क्षेत्र का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, जो अब बावड़ी और मंदिर के पुनर्निर्माण के माध्यम से सामने आएगा।
- Advertisement -
संभल में यह खोज अतीत के गौरवशाली इतिहास को उजागर कर रही है और क्षेत्र के लोगों के लिए गर्व का विषय बन रही है।