बीकानेर ऊंट उत्सव: 10 से 12 जनवरी तक सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव
बीकानेर का प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव 10 से 12 जनवरी 2024 तक आयोजित किया जाएगा। जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने सोमवार को उत्सव का पोस्टर विमोचन कर तैयारियों की समीक्षा की।
उत्सव का व्यापक प्रचार-प्रसार:
जिला कलेक्टर ने निर्देश दिया कि देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उत्सव का व्यापक प्रचार किया जाए। उन्होंने कहा कि आयोजन में राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं को नई पहचान देने वाले नवाचार शामिल किए जाएं।
पहला दिन: 10 जनवरी
तीन दिवसीय उत्सव की शुरुआत 10 जनवरी को जूनागढ़ परिसर में भव्य सांस्कृतिक संध्या से होगी। इसमें विभिन्न कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। साथ ही, स्थानीय हैंडीक्राफ्ट और विशेषताओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
दूसरा दिन: 11 जनवरी
उत्सव के दूसरे दिन राष्ट्रीय उच्च अनुसंधान केंद्र में ऊंट नृत्य, ऊंट सज्जा, ऊंट दौड़, और ऊंट फर कटिंग जैसी रोमांचक गतिविधियां होंगी। दोपहर 3:30 बजे जूनागढ़ से शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें सजे-धजे ऊंट, तांगे, हेरिटेज गाड़ियां, लोक कलाकार, और एनसीसी कैडेट्स शामिल होंगे।
सायं 4:30 बजे डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में मिस्टर बीकानेर, मिस मरवन और ढोला-मारवण शो आयोजित होंगे। सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी शाम 7 बजे से स्टेडियम में होगा।
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तीसरा दिन: 12 जनवरी
अंतिम दिन रायसर में रस्साकसी, कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, महिला मटका दौड़, और ड्यून रेस जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। साथ ही, सैंड आर्ट एग्जिबिशन, हैंडीक्राफ्ट, फूड बाजार, हॉर्स रेस और कैमल कार्ट सफारी जैसे कार्यक्रम होंगे। शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।
पीले चावल से न्योता:
जिला कलेक्टर ने बताया कि 2 जनवरी को पीले चावल बांटकर उत्सव के लिए आमंत्रण दिया जाएगा। इसमें रोबीले, लोक कलाकार और सजे-धजे ऊंट-घोड़े शामिल होंगे।
बैठक में समीक्षा:
बैठक में पर्यटन विभाग के उपनिदेशक अनिल राठौड़ ने अब तक की तैयारियों की जानकारी दी। नगर निगम आयुक्त मयंक मनीष, अतिरिक्त कलेक्टर रमेश देव, और अन्य प्रमुख अधिकारियों ने आयोजन से संबंधित विचार साझा किए।
विशेष निर्देश:
जिला कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए। सभी कार्यक्रम गरिमामय और भव्य रूप से आयोजित हों, जिससे ऊंट उत्सव बीकानेर की संस्कृति का प्रतीक बन सके।