राजस्थान के बीकानेर से शनिवार सुबह एक दुखद खबर आई। बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मों में अपनी संगीत की कला का जादू बिखेरने वाले रफीक सागर का 72 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से निधन हो गया। इस खबर से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई। उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग उनके शीतला गेट स्थित घर पहुंचने लगे।
संगीत के लीजेंड:
रफीक सागर को गजलों और भजनों के लिए खास पहचान मिली थी। वे मेहदी हसन को अपना गुरु मानते थे। क्षत्रिय फिल्म के गीत “सपने में सखी” से उन्हें प्रसिद्धि मिली। वे प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर राजा हसन के पिता थे, जिन्होंने हाल ही में फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड 2024 जीता।
संगीत की विरासत:
रफीक सागर का जन्म संगीत के माहौल में हुआ। उनके पिता अल्लाह रखे खां एक जाने-माने गायक थे और उनकी माता मेहरा बेगम ने उन्हें भजन और नात गाना सिखाया। उन्होंने बॉलीवुड की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ भी काम किया।
लोकप्रियता और विनम्रता का संगम:
72 वर्ष की उम्र में भी वे संगीत की दुनिया में सक्रिय थे। “बाबे के दरबार में मार घमाघम” जैसे भजनों ने उन्हें भजनों की दुनिया का सम्राट बना दिया। उनकी अंतिम फेसबुक पोस्ट में उन्होंने दोस्तों का आभार व्यक्त करते हुए “एहसान मेरे दिल के तुम्हारा है दोस्तों” गाना गाया।
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रफीक सागर ने सफलता के शिखर पर पहुंचने के बावजूद अपनी विनम्रता बनाए रखी और अपनी जड़ों से जुड़े रहे। बीकानेर का यह सितारा अपने अंतिम सफर पर निकलकर अपने ईश्वर से जा मिला।