हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में शांति की चर्चा होती है, लेकिन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के बिना वैश्विक शांति संभव नहीं है।
‘भारत को शांति का मार्गदर्शक बनना होगा’
भागवत ने कहा कि भारत के पारंपरिक ज्ञान और अनुभव ने पिछले 3,000 वर्षों में यह सिद्ध किया है कि यह विश्व शांति का मार्गदर्शक बन सकता है। उन्होंने कहा कि यह भारत का कर्तव्य है कि वह अपनी सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से पूरी दुनिया को शांति की दिशा में अग्रसर करे।
‘अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर भारत को सलाह देने वाले अब खुद देखें’
भागवत ने कहा कि अक्सर भारत को उसके अल्पसंख्यकों के मुद्दों को लेकर सलाह दी जाती है। मगर आज, अन्य देशों में अल्पसंख्यकों की जो स्थिति है, वह चिंताजनक है।
‘मनुष्य का धर्म ही सभी धर्मों का मूल’
उन्होंने मानव धर्म को सभी धर्मों का मूल बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा सार्वभौमिक धर्म है जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। भागवत ने कहा कि जब तक इस धर्म को समझा नहीं जाता, तब तक पर्यावरण और अन्य समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने संघ की प्रशंसा की
इस मौके पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आरएसएस के राष्ट्र निर्माण में योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि संघ से हमें निस्वार्थ भाव से काम करने की प्रेरणा मिलती है। शिंदे ने नागपुर में डॉ. हेडगेवार स्मृति स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि संघ का काम समाज को जोड़ने का है, बांटने का नहीं।
‘संघ और शिवसेना की विचारधारा एक जैसी’
शिंदे ने कहा कि बचपन से वह संघ से जुड़े रहे हैं और संघ व शिवसेना की विचारधारा समान है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. हेडगेवार के स्मारक पर जाने से उन्हें नई ऊर्जा मिलती है।