सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘जय श्रीराम का नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है?’
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया कि ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है। यह मामला 2023 में कर्नाटक के पुत्तूर सर्किल में मस्जिद के अंदर नारेबाजी और धमकी के आरोपों से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पंकज मिठल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा,
“लोग धार्मिक नारा लगा रहे थे। इसे अपराध कैसे माना जा सकता है?”
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याचिकाकर्ता हैदर अली सी.एम. ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मस्जिद के भीतर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने वाले दो व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था।
पहचान पर सवाल:
बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि आरोपियों की पहचान कैसे की गई। वकील देवदत्त कामत ने तर्क दिया कि सीसीटीवी फुटेज में यह सब रिकॉर्ड हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने जांच पूरी होने से पहले ही कार्यवाही रद्द कर दी।
हाईकोर्ट के फैसले की मुख्य बातें:
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को अपने आदेश में कहा था:
- केवल ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाना किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता।
- शिकायत में सार्वजनिक अशांति या विवाद का कोई आरोप नहीं था।
- आरोपों में IPC की धारा 503 (आपराधिक धमकी) और धारा 447 (अवैध प्रवेश) के तत्व नहीं पाए गए।
- कार्यवाही करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
घटना का विवरण:
यह घटना 24 सितंबर 2023 को कर्नाटक के पुत्तूर सर्किल स्थित एक मस्जिद में हुई थी। शिकायत के अनुसार, दो व्यक्तियों ने मस्जिद में घुसकर नारेबाजी की और धमकी दी। इस मामले में कडाबा थाने में शिकायत दर्ज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई:
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में तय की है। साथ ही, याचिकाकर्ता को आरोपियों की पहचान स्पष्ट करने और राज्य पुलिस से विस्तृत जानकारी प्राप्त करने को कहा गया है।