बिजली के निजीकरण पर विवाद के बीच हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल की पहल
राजस्थान में बिजली के निजीकरण को लेकर विवाद बढ़ रहा है। इस बीच बिजली कंपनियां हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HEM) के तहत नई योजनाओं पर काम शुरू कर रही हैं। इसके तहत 3 से 5 कंपनियों का जॉइंट वेंचर बनाया जाएगा। इन कंपनियों में ऐसी कंपनियों को भी शामिल होने का मौका मिलेगा, जिनके पास इस क्षेत्र का अनुभव नहीं है, लेकिन निवेश करने की क्षमता है।
नई निविदाएं और प्रस्तावित बदलाव:
- Advertisement -
इस मॉडल के तहत बिजली तंत्र के ऑपरेशन, मेंटेनेंस और सप्लाई व्यवस्था पर फोकस किया जाएगा।
प्रावधान ऐसे बनाए गए हैं, जिससे बड़ी कंपनियां भाग ले सकें।
हर एक प्रोजेक्ट की लागत 500 से 900 करोड़ रुपए तक होने की संभावना है।
एनएचएआई मॉडल से प्रेरणा:
सूत्रों के मुताबिक, यह मॉडल भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से प्रेरित है। ऊर्जा विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी इस मॉडल पर पहले काम कर चुके हैं और इसे बिजली क्षेत्र में लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।
मुख्य कार्यक्षेत्र:
1. 33 केवी ग्रिड सबस्टेशन का संचालन।
2. 11 केवी लाइन और संबंधित तंत्र का प्रबंधन।
3. घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के फीडर को अलग करना।
4. ग्रिड स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाना।
विरोध और चुनौतियां:
निजीकरण के विरोध में राजस्थान में कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी है।
विरोध के चलते बिलिंग और मीटरिंग कार्य को इस मॉडल से अलग कर दिया गया है।
निजी कंपनियों द्वारा काम अधूरा छोड़ने और सप्लाई में खामियों की शिकायतें बड़ी चुनौती बनी रहेंगी।
बड़ी कंपनियों का दबदबा?
निविदा की शर्तें बड़ी कंपनियों के पक्ष में मानी जा रही हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।