रसिक चंद्र मंडल, जो 104 वर्ष के हैं, को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। उनका जन्म 1920 में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। इसी साल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी। मंडल 1988 में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए थे और 1994 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
केस का सफर:
मंडल ने अपनी सजा के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने 2018 में उनकी अपील खारिज कर दी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील को नामंजूर कर दिया। इसके बाद, 2020 में उन्होंने रिट याचिका दायर कर अपनी रिहाई की मांग की।
अदालत का निर्णय:
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई की। मंडल के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अदालत ने ट्रायल कोर्ट की शर्तों पर उन्हें अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया।
स्वास्थ्य और परिवार:
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि मंडल की हालत स्थिर है। अब वे अपने परिवार के साथ जीवन के अंतिम दिन बिता सकेंगे। मंडल जल्द ही अपना 104वां जन्मदिन मनाने वाले हैं।