जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू), जोधपुर ने एमबीएम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों की पेंशन रोकने का निर्णय लिया है। 23 अक्टूबर को हुई सिंडिकेट बैठक में तय किया गया कि अक्टूबर 2024 से जेएनवीयू एमबीएम विश्वविद्यालय के पेंशनर्स को पेंशन नहीं देगा। इस निर्णय के तहत एमबीएम विश्वविद्यालय के 274 पेंशनर्स की हर महीने बनने वाली 1.60 करोड़ रुपये की पेंशन रोक दी गई है।
पेंशन रोकने का कारण
नवंबर 2021 में राज्य सरकार ने जेएनवीयू के इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर संकाय यानी एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को अलग करके एक स्वतंत्र विश्वविद्यालय बना दिया था। इसके बावजूद बीते तीन वर्षों से एमबीएम के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और शिक्षकों को पेंशन देने का भार जेएनवीयू के पास था।
जेएनवीयू का कहना है कि एमबीएम संकाय के निष्क्रिय हो जाने से उसे 50 करोड़ रुपये की वार्षिक आय का नुकसान हुआ है। इस कारण विश्वविद्यालय को पेंशन देने के लिए बार-बार ऋण लेना पड़ रहा है। अब तक जेएनवीयू ने एमबीएम पेंशनर्स को 50 करोड़ रुपये की पेंशन दी है। विश्वविद्यालय के पास अब खुद के कर्मचारियों की पेंशन देने के लिए भी धनराशि की कमी है।
एमबीएम के पेंशनर्स की प्रतिक्रिया
पेंशन रोकने के निर्णय के बाद एमबीएम के पेंशनर्स ने राज्यपाल से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने ज्ञापन देकर मांग की है कि जेएनवीयू को फिर से पेंशन देने का आदेश दिया जाए। पेंशनर्स का कहना है कि एमबीएम विश्वविद्यालय के पास पेंशन देने की कोई व्यवस्था नहीं है, और यह निर्णय उनकी आजीविका पर संकट खड़ा कर सकता है।
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सिंडिकेट का निर्णय
सिंडिकेट ने स्पष्ट किया है कि इंजीनियरिंग संकाय से संबंधित आय के स्रोत अब एमबीएम विश्वविद्यालय के अधीन हैं। ऐसे में अक्टूबर 2024 से पेंशन का दायित्व एमबीएम विश्वविद्यालय को ही निभाना होगा।
मुख्य बिंदु:
- जेएनवीयू ने एमबीएम विश्वविद्यालय के 274 पेंशनर्स की पेंशन रोकने का निर्णय लिया।
- पेंशन रोकने का कारण जेएनवीयू की आय में कमी और ऋण पर निर्भरता है।
- पेंशनर्स ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील की है।
- सिंडिकेट ने पेंशन का दायित्व एमबीएम विश्वविद्यालय को सौंपा।

