झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में हुए भीषण अग्निकांड की जांच सोमवार को शुरू हुई। इस हादसे में अब तक 12 नवजातों की जान जा चुकी है। लखनऊ से पहुंची चार सदस्यीय उच्च स्तरीय टीम ने जांच की और विभिन्न पहलुओं पर जानकारी जुटाई।
टीम का निरीक्षण और पूछताछ
चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक डॉ. किंजल सिंह के नेतृत्व में जांच टीम ने सबसे पहले जले हुए एसएनसीयू का निरीक्षण किया। इसके बाद वार्ड नंबर 5 में भर्ती नवजातों के परिजनों से बात की। टीम ने करीब साढ़े पांच घंटे तक पूछताछ की, जिसमें मृत शिशुओं के परिजनों समेत 20 डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए।
शॉर्ट सर्किट को हादसे की वजह माना गया
डॉ. किंजल सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को हादसे की वजह माना गया है। घटना का कारण एक्सटेंशन कॉर्ड में आग लगना बताया गया, जो वेंटिलेटर तक फैल गई। बिजली उपकरणों की गुणवत्ता और क्षमता की भी जांच होगी।
बिजली उपकरणों की जांच और अन्य सवाल
जांच टीम ने बिजली विभाग के विशेषज्ञों के साथ मिलकर उपकरणों की गुणवत्ता और लोड क्षमता की जांच शुरू की। यह भी पता किया जाएगा कि वार्ड में क्षमता से तीन गुने अधिक नवजात क्यों भर्ती थे और सुरक्षा उपाय क्यों पर्याप्त नहीं थे।
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सरकारी कदम और निर्देश
इस घटना के बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सभी अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर अस्पताल में आग से बचाव के इंतजामों का नए सिरे से ऑडिट कराया जाएगा। सुरक्षा चेकलिस्ट तैयार कर अधिकारियों को जवाबदेही सुनिश्चित करने को कहा गया है।
झांसी जैसी घटना दोहराने से बचने की तैयारी
उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि झांसी जैसी त्रासदी फिर नहीं होने दी जाएगी। अस्पतालों में समय-समय पर मॉक ड्रिल और उपकरणों की जांच अनिवार्य होगी। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रमुख बिंदु:
- अग्निकांड में अब तक 12 नवजातों की मौत।
- प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को जिम्मेदार माना गया।
- सुरक्षा चूक पर सभी अस्पतालों का नया अग्नि सुरक्षा ऑडिट होगा।
- घटना में शामिल कर्मियों और उपकरणों की गुणवत्ता पर भी सवाल।
- सरकार ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

