जयपुर, जिसे ‘गुलाबी नगरी’ और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर शहर का दर्जा प्राप्त है, आज अपनी स्थापना के 297वें वर्ष का जश्न मना रहा है। 18 नवंबर 1727 को सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा स्थापित यह शहर अपनी अनूठी वास्तुकला, ऐतिहासिक धरोहर और नवग्रहों पर आधारित नियोजन के लिए प्रसिद्ध है।
मुख्य आकर्षण:
कल्कि मंदिर: दुनिया का पहला कल्कि मंदिर जयपुर के सिरहड्योढ़ी बाजार में स्थित है। इसका निर्माण 1732-1742 के बीच सवाई जयसिंह ने करवाया।
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हवामहल: 1799 में सवाई प्रतापसिंह द्वारा निर्मित, इसका डिजाइन भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट की आकृति में है।
नाहरगढ़ किला: 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह किला 1734 में सवाई जयसिंह ने बनवाया।
रामगंज बरामदे: रामगंज क्षेत्र में बरामदों का निर्माण जयपुर के आधुनिक स्वरूप की शुरुआत का प्रतीक है।
गुलाबी रंग: जयपुर के बाजारों को 1875 में सवाई रामसिंह ने गुलाबी रंग में रंगवाया, जिससे यह ‘पिंक सिटी’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
हाथ से बना अंतिम सिक्का: 1949 में सवाई मानसिंह द्वितीय के शासनकाल में जयपुर में हाथ से बना अंतिम सोने का सिक्का जारी किया गया।
जयपुर की खासियत:
नवग्रहों के अनुसार योजना और 9 चौकड़ियों में बसावट।
365 खिड़कियों वाला हवामहल।
अद्वितीय पानी संग्रहण प्रणाली और ऐतिहासिक किले।
संदेश:
जयपुर न केवल अपनी स्थापत्य कला और विरासत के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। 297 साल बाद भी यह शहर भारतीय संस्कृति और इति
हास का अद्वितीय उदाहरण है।

