


ऐसे सरकारी कर्मचारी, जो ‘सामान्य भविष्य निधि’ (जीपीएफ) के तहत आते हैं, उनके लिए यह राहत की खबर है कि सेवानिवृत्ति के बाद बकाया जीपीएफ राशि पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा, अगर समय पर उनका भुगतान नहीं हुआ है। इस बारे में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो कि सभी विभागों में लागू होंगे। विभाग ने इस संदर्भ में दो सप्ताह पहले एक आदेश जारी किया है, जिसमें बकाया राशि का भुगतान न होने की स्थिति में ब्याज का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है।
सेवानिवृत्ति के बाद जीपीएफ पर ब्याज की स्थिति
हाल ही में पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग को कई सरकारी कर्मचारियों द्वारा शिकायतें प्राप्त हुईं, जिसमें बताया गया कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी जीपीएफ भुगतान में विलंब हो रहा है। इन मामलों में ब्याज देने के विषय में विभाग ने 2017 में जारी दिशा-निर्देशों का हवाला दिया है, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि जीपीएफ का समय पर भुगतान न होने पर संबंधित लेखा अधिकारी बकाया राशि पर ब्याज भुगतान के लिए उत्तरदायी होंगे। जीपीएफ खाते में जमा धनराशि पूरी तरह से सरकारी कर्मचारी की निजी संपत्ति मानी जाती है और किसी भी लंबित अनुशासनिक मामले का इसका भुगतान पर प्रभाव नहीं पड़ता है।
विलंबित भुगतान पर ब्याज का नियम
सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) नियमावली के अनुसार, यदि सेवानिवृत्ति पर जीपीएफ का भुगतान समय पर नहीं होता है, तो देरी की अवधि के लिए ब्याज का भुगतान अनिवार्य होता है। नियम 11 (4) के तहत, छह महीने तक का ब्याज प्राधिकृत अधिकारी द्वारा भुगतान किया जा सकता है, जबकि इससे अधिक की अवधि के लिए उच्च अधिकारियों की अनुमति की आवश्यकता होती है।

भुगतान में देरी पर होगी कार्रवाई
अब यह सुनिश्चित किया गया है कि जीपीएफ का भुगतान देरी से होने की स्थिति में ब्याज अनिवार्य रूप से दिया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी। ऐसे मामलों में जहां जीपीएफ भुगतान में देरी होती है, प्रशासनिक विभाग के सचिव से मामले की समीक्षा कर संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।