


कानपुर के सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी का दिवाली के दिन प्रचार के दौरान शिव मंदिर में जाकर जलाभिषेक करना और पूजा करने का मामला तूल पकड़ गया है। कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने नसीम सोलंकी के मंदिर जाने पर आपत्ति जताई और उनसे अल्लाह से तौबा करने की नसीहत दी है। देवबंद समेत कई उलेमाओं ने फतवा जारी करते हुए कहा कि नसीम का मंदिर में पूजा करना इस्लाम के नियमों के खिलाफ है।
नसीम सोलंकी ने दी सफाई
नसीम सोलंकी ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि वे मंदिर में पूजा करने नहीं गई थीं, बल्कि अपने पार्टी के हिंदू समर्थकों के कहने पर दीप जलाने और दिवाली की शुभकामनाएं देने गई थीं। उन्होंने कहा कि धर्मगुरु बड़े हैं, उनकी नसीहत का सम्मान करती हैं और इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहतीं।
मंदिर समिति ने कराया शुद्धिकरण
शनिवार को मंदिर समिति ने परिसर का गंगाजल और दूध से शुद्धिकरण किया। मंदिर के पुजारी महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें पहले पता नहीं था कि वह नसीम सोलंकी हैं, और अगर जानकारी होती तो तिलक नहीं लगाते। मंदिर में आए सभी भक्तों की तरह ही नसीम को भी तिलक लगाया गया था। उन्होंने कहा कि हम अपने भोलेनाथ और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए शुद्धिकरण कर रहे हैं।
मुस्लिम धर्मगुरुओं का बयान
देवबंद के मौलाना सालिम अशरफ कासमी ने नसीम के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस्लाम में किसी भी गैर धर्म की पूजा या प्रतीकों को अपनाने की इजाजत नहीं है और अगर ऐसा कोई करता है तो उसे तौबा करनी चाहिए। मदरसा शेखुल हिंद के मुफ्ती असद कासमी ने भी इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मजहब को सियासत के लिए इस्तेमाल करना उचित नहीं है।
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सपा का बयान
सपा प्रवक्ता दीपक रंजन ने नसीम सोलंकी के मंदिर जाने पर उठे विवाद को राजनीतिक रंग देने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी धार्मिक स्थलों पर जाते हैं, लेकिन उन्हें इस तरह से निशाना नहीं बनाया जाता। रंजन ने यह भी कहा कि इस मामले को बेवजह धार्मिक रंग देकर चुनावी माहौल को प्रभावित किया जा रहा है।
सीसामऊ उपचुनाव का महत्व
सीसामऊ विधानसभा में कुल 2.69 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 1.10 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। यह सीट सपा और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की स्थिति में है, जहां पर हर वोट महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के इरफान सोलंकी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के सलिल विश्नोई दूसरे स्थान पर रहे थे।
इस विवाद से उपचुनाव की सरगर्मी और बढ़ गई है, जिसमें दोनों पक्ष अपने-अपने आधार को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।