


गहलोत सरकार के कार्यकाल में बनाए गए नए जिलों के अस्तित्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उपचुनावों के बाद कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंपने की संभावना जताई जा रही है, जिसमें छोटे जिलों के भविष्य पर फैसला लिया जाएगा। माना जा रहा है कि राज्य सरकार नवम्बर में यह निर्णय लेगी कि इन छोटे जिलों को समाप्त किया जाए या बरकरार रखा जाए।
मंत्रियों की रिव्यू कमेटी का मानना है कि उन जिलों को मर्ज करना उचित रहेगा, जो मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। इस संदर्भ में, कमेटी छोटे जिलों को समाप्त करने की सिफारिश कर सकती है। कई मंत्रियों ने इस प्रकार के संकेत भी दिए हैं कि जिन जिलों में जनसंख्या और क्षेत्रफल की पर्याप्तता नहीं है, उन्हें मर्ज कर देना चाहिए। वहीं, जिन जिलों में जनसंख्या अधिक है और सुविधाओं की जरूरत है, उन जिलों को बरकरार रखने की सिफारिश की जाएगी।
गहलोत सरकार के दौरान बनाए गए दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी जैसे छोटे जिलों को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। इन जिलों का इलाका बहुत छोटा है और कई जगहों पर इनका क्षेत्र एक उपखंड जितना ही है। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने इन जिलों के गठन पर सवाल उठाए थे। रिव्यू कमेटी के कई मंत्रियों का भी मानना है कि इस तरह विधानसभा क्षेत्र जितने इलाकों को जिले बना देने से भविष्य में 200 जिले बनाने पड़ सकते हैं।

मंत्रियों की कमेटी अपनी रिपोर्ट में प्रत्येक जिले के संदर्भ में सिफारिशें देगी, जो गहलोत सरकार के लिए निर्णायक हो सकती हैं।