


बीकानेर जिले की पंचायत समितियों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ‘दीदी की कैंटीन’ खोली जाएगी, जो स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं द्वारा संचालित की जाएगी। इस पहल की घोषणा जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि ने शुक्रवार को राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) की समीक्षा बैठक के दौरान की।
जिला कलक्टर ने बताया कि बीकानेर जिला परिषद में पहले से ‘दीदी की कैंटीन’ संचालित हो रही है और अब इसे जिले के अन्य स्थानों पर भी शुरू किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके द्वारा संचालित कैंटीनों से आय के साधन प्रदान करना है। इसके लिए राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक को जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा:
- महिला संचालित कैंटीनें: कैंटीनों का संचालन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जाएगा।
- बैंक खाता अनिवार्यता: जिले के सभी स्वयं सहायता समूहों के बैंक खाते अनिवार्य रूप से खोले जाएंगे।
- मॉडल एसएचजी: प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम दस समूहों को ‘मॉडल एसएचजी’ के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि अन्य समूहों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बन सकें।
जिला कलक्टर ने लूणकरणसर, कोलायत और बीकानेर ब्लॉक में राजीविका की गतिविधियों पर असंतोष जताते हुए उसमें सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में और तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही कृषि और पशु सखियों की फील्ड गतिविधियों की नियमित समीक्षा और लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया।
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प्रशिक्षण और विपणन पर ध्यान:
- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का डिजिटल-पे सखी प्रशिक्षण अब तक नहीं करवाया गया, जिसे जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए गए।
- सेनेट्री नेपकिन इकाई को सक्रिय करने और नेपकिन की गुणवत्ता और विपणन योजना पर ध्यान केंद्रित करने पर भी चर्चा की गई।
इस बैठक में जिले के अधिकारी, जैसे मुख्य कार्यकारी अधिकारी सोहन लाल, राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक हरिराम चौहान, और अन्य प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।