खाजूवाला सीमा क्षेत्र में 11 करोड़ की हेरोइन के मामले में बड़े खुलासे, ड्रोन के जरिए हुई तस्करी
खाजूवाला बॉर्डर क्षेत्र में सीमा पार से ड्रोन द्वारा भेजी गई 11 करोड़ रुपये की हेरोइन को लेकर जांच एजेंसियों ने पकड़े गए तस्करों से पूछताछ की, जिसमें कई अहम जानकारियां सामने आई हैं।
2 अक्टूबर को नीलकंठ पोस्ट के नजदीक ड्रोन के जरिए भेजी गई हेरोइन के मामले में हुई पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। जांच के दौरान पाया गया कि पाकिस्तान में बैठे तस्कर ने हेरोइन को गिराने की जगह पहले से तय कर ली थी और भुगतान दुबई से हवाला के माध्यम से किया गया था।
यह घटना उस समय सामने आई जब बीएसएफ ने खाजूवाला बॉर्डर एरिया के नीलकंठ पोस्ट के पास एक ड्रोन और करीब 11 करोड़ की 2 किलो हेरोइन पकड़ी। पुलिस और बीएसएफ ने मामले में 6 तस्करों को हिरासत में लिया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पंजाब में बैठे मुख्य तस्कर ने पाकिस्तानी तस्कर से इस हेरोइन की डील की थी। बलदेव सिंह, जो हाल ही में रोहतक जेल से छूटा था, को तस्करी के लिए केरियर बनाया गया। डील की कीमत डेढ़ लाख रुपये थी, जिसमें एक लाख रुपये दुबई से हवाला के जरिए बलदेव के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। हालांकि, बीएसएफ और पुलिस की सतर्कता के कारण तस्कर अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सके।
- Advertisement -
जांच के अनुसार, बलदेव सिंह पिछले एक साल से पाकिस्तानी तस्कर अहमद के संपर्क में था। गिरफ्तार तस्करों में पंजाब के फाजिल्का निवासी बलजीत सिंह, हरभजन सिंह, अमरीक सिंह, मस्तान सिंह और हनुमानगढ़ के महेंद्र सिंह और परगट सिंह शामिल हैं, जबकि एक आरोपी तारा सिंह फरार है। इस मामले की जांच छतरगढ़ थाना प्रभारी संदीप कुमार कर रहे हैं।
बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन के जरिए तस्करी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यह सीमा पर सुरक्षा को चकमा देने का नया तरीका बन गया है। सुरक्षा बलों ने हाल के महीनों में कई ड्रोन पकड़े हैं, जिनका इस्तेमाल भारत में नशीले पदार्थ और हथियार भेजने के लिए किया गया। इस घटना के बाद सीमा पर सुरक्षा और भी कड़ी कर दी गई है।
सुरक्षा एजेंसियां ड्रोन से तस्करी को रोकने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं और तस्करों के प्रयासों को विफल करने के लिए पूरी तरह सतर्क हैं। इस तरह की घटनाओं पर लगातार नजर रखी जा रही है।
**सावधानी नोट:** तस्करों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल एक नई चुनौती है। सीमाओं पर सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था के बावजूद ड्रोन तस्करी के प्रयास बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में विशेष सावधानी बरतने और उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल से ही इस खतरे का मुकाबला किया जा सकता है।

