


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने हिंदू समाज से अपील की है कि वे भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों को भुलाकर एकजुट हों। उन्होंने सुरक्षा के दृष्टिकोण से एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया।
बारां में आयोजित आरएसएस के स्वयंसेवक सम्मेलन के दौरान भागवत ने कहा कि समाज में अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य की ओर उन्मुखता जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए आपसी मतभेदों को दरकिनार करते हुए संगठित होना चाहिए। एक ऐसा समाज आवश्यक है, जिसमें संगठन, सद्भावना और आत्मीयता का अहसास हो।
भागवत ने स्पष्ट किया कि समाज केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक चिंताओं तक सीमित नहीं होता, बल्कि हमें समग्र समाज के कल्याण के लिए भी सोचना चाहिए। उन्होंने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बताते हुए कहा कि हिंदू शब्द का प्रयोग देश में रहने वाले सभी संप्रदायों के लिए किया जाता है।

उन्होंने यह भी कहा कि संघ का कार्य यांत्रिक नहीं है, बल्कि यह विचार पर आधारित है। भागवत ने संघ के कामों की तुलना दुनिया में किसी अन्य संगठन के कार्यों से न करते हुए इसके अद्वितीयता की ओर इशारा किया। उन्होंने बताया कि संघ के मूल्यों का प्रभाव स्वयंसेवकों से उनके परिवारों तक फैला हुआ है, जो व्यक्तित्व विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
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कार्यक्रम में अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों में राजस्थान क्षेत्र के संघचालक रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत के संघचालक जगदीश सिंह राणा, बारां विभाग के संघचालक रमेशचंद मेहता और बारां जिले के संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग भी उपस्थित थे।