


भजनलाल सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में है, जहां मंत्री पुत्रों के विवाद और अफसरों के तबादले चर्चा का विषय बने हुए हैं। राज्य की ब्यूरोक्रेसी की स्थिति यह है कि बार-बार तबादलों के बावजूद 69 अहम विभाग अब भी पूर्णकालिक अफसरों के बिना ही चल रहे हैं, जिन्हें एडिशनल चार्ज पर संचालित किया जा रहा है।
सरकार ने हाल ही में अधिकारियों के तबादले किए हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। कुल 69 विभागों में अभी भी फुल टाइम अफसरों की कमी बनी हुई है। ये विभाग अब भी अतिरिक्त चार्ज के तहत ही चल रहे हैं, और ऐसा पहली बार हुआ है कि तबादलों के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में विभागों को एडिशनल चार्ज पर रखा गया है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इसे ‘फुटबॉल’ की उपाधि दी और कहा कि बार-बार तबादलों के बावजूद सरकारी कामकाज में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। उनके अनुसार, चार आरएएस अधिकारियों का पिछले दस महीनों में पांच बार तबादला हो चुका है, जबकि 15 अधिकारियों का चार बार। 50 अन्य अधिकारियों का तीन बार तबादला हुआ है।
हाल ही में आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची भी जारी हुई, जिसमें 22 अधिकारियों का तबादला एक महीने में दो बार किया गया। बावजूद इसके, 46 आईएएस अधिकारियों के पास 69 विभागों और संस्थानों का अतिरिक्त चार्ज है, जिससे अधिकारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। यहां तक कि कई अधिकारियों के पास तीन-तीन विभागों या संस्थानों का भी अतिरिक्त कार्यभार है।
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प्रमुख अधिकारियों के पास एडिशनल चार्ज का उदाहरण
- शुभ्रा सिंह स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की चेयरमैन हैं और उन्हें स्टेट बस टर्मिनल विकास प्राधिकरण का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
- मुख्य सचिव सुधांश पंत के पास RSMML चेयरमैन, चीफ रेजिडेंट कमिश्नर दिल्ली, और राजफेड प्रशासक का अतिरिक्त कार्यभार है।
- अभय कुमार के पास राजस्थान रिवर बेसिन और जल योजना आयोग के साथ-साथ कृषि और जल उपयोगिता विभाग के एसीएस का अतिरिक्त चार्ज है।
- आलोक, ऊर्जा विभाग के एसीएस हैं, लेकिन साथ ही विद्युत प्रसारण निगम चेयरमैन का भी अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं।
इन अधिकारियों पर एडिशनल चार्ज का बोझ बढ़ रहा है, और इससे न केवल कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि सरकार की कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।