


भारत जो चाहता है, उसका फ़्रांस के राष्ट्रपति ने यूएन में किया खुलकर समर्थन
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा की 79वीं बैठक के दौरान भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की अपील की। उन्होंने इस संबोधन में कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है और भारत, ब्राजील तथा जापान को स्थायी सदस्यता दिए जाने की आवश्यकता है।
मैक्रों ने कहा कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के बीच स्वार्थ के चलते सुधारों में बाधा उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा, “क्या सुरक्षा परिषद में कोई प्रभावी व्यवस्था काम कर रही है? मुझे नहीं लगता। हमें इसे प्रभावी बनाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।”
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए अन्य देशों को भी सदस्यता दी जानी चाहिए, विशेषकर अफ्रीका के दो देशों को।
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जी-4 समूह ने, जिसमें भारत शामिल है, एक बार फिर सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग की है। एल-69 और सी-10 देशों के समूह ने भी इसका समर्थन किया। जी-4 देशों के विदेश मंत्रियों ने एक बैठक में संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की समीक्षा की और कहा कि मौजूदा बहुपक्षीय व्यवस्था के सामने कई चुनौतियाँ हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक अतीत का क़ैदी बन चुका है और इसे आधुनिक विश्व की आवश्यकताओं के अनुसार सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र संघर्ष कर रहा है।
इस चर्चा में भारत की सदस्यता को लेकर राजनीतिक विमर्श भी हुआ। बीजेपी ने भारत की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता न मिलने का ठीकरा पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर फोड़ा है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि नेहरू के फैसलों को संदर्भ में समझना आवश्यक है, क्योंकि उस समय भारत स्वतंत्र नहीं था और वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य अलग था।
इस प्रकार, मैक्रों का यह बयान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पहल है, जो भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका को मजबूती प्रदान कर सकता है।