


इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी आईसीसी में इसराइल और हमास नेताओं के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट की मांग की गई.
इस वांरट की मांग के केंद्र में एक शख़्स का नाम लगातार ख़बरों में रहा.
ये शख़्स हैं- आईसीसी के मुख्य अभियोजक क़रीम ख़ान.
करीम ख़ान ने इसराइल के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व और हमास के तीन नेताओं पर जनसंहार के मामले में आरोप लगाए तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया इसराइल से अमेरिका तक सुनाई दी.
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इसराइली पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू ने करीम ख़ान को ‘आधुनिक दौर के सबसे बदतर यहूदी विरोधियों में से एकजनसंहार मामले में करीम ख़ान के वारंट की मांग को नेतन्याहू ने ‘दुनिया में यहूदियों के ख़िलाफ़ फैलती नफ़रती आग पर तेल छिड़कने वाली हरकत’ कहा.
हमास नेताओं ने करीम ख़ान की मांग के बारे में कहा कि वो कातिल और पीड़ित को एक बराबर रख रहे हैं.
ऐसे में सवाल ये है कि ये करीम ख़ान आख़िर हैं कौन और वो क्यों इसराइल, हमास दोनों के निशाने पर आ गए. पढ़िए करीम ख़ान की कहाकरीम ख़ान आईसीसी के मुख्य अभियोजक हैं.
2021 में जब करीम का नौ साल का कार्यकाल शुरू हुआ था, तब उन्होंने कहा था- ”किसी केस में अभियोजन पक्ष बनने या अभियुक्त का बचाव करने में मझे कोई फ़र्क़ महसूस नहीं होता.”

करीम ख़ान ने कहा था, ”ब्रितानियों के लिए क़ानून अंतत: क़ानून ही होता है. जब आपको दोनों पक्षों की ओर से वकालत करने का अनुभव होता है तो आप ज़मीन से जुड़े रहते हैं. ये आपको उस ख़्याल से भी दूर रखता है कि बचाव पक्ष का वकील कोई दैत्य होता है या अभियोजन पक्ष का वकील ईश्वर का काम कर रहा है.”
करीम ख़ान का यह रवैया इस हफ़्ते तब भी देखने को मिला, जब वो दुनिया के सबसे विवादित केस में से एक में अपनी क़ानूनी भाषा के सहारे हमास और इसराइल दोनों को घेरने में सफल रहे.
कुछ लोगों के लिए करीम ख़ान जुझारू, करिश्माई हैं और कुछ के लिए वो थोड़े अहंकारी.
करीम ख़ान ने अमेरिका, ब्रिटेन के सहयोगी इसराइल के प्रधानमंत्री को उन नेताओं की लिस्ट के क़रीब जा छोड़ा है, जिसमें उन लोगों के नाम हैं जिनकी आलोचना ये देश सालों से करते आए हैं.
फिर चाहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हों, लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफ़ी हों या फिर युगांडा के जोसेफ कोनी.
इसे ऐसे समझिए कि जिससे आप नफरत करते हों या उसकी बुराई करते हों और कोई आपको भी वैसा ही बता दे.नी.’ बताया.