


इस साल जनवरी में भयंकर ठंड के बावजूद हज़ारों लोग दिल्ली के लाल क़िले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक कार्यक्रम में सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में ‘विकसित भारत 2047’ का संदेश देते हुए देश को 2047 तक विकसित बनाने का वादा किया था.
लुभावने जुमले गढ़ने के उस्ताद कहे जाने वाले मोदी का ये सबसे ताज़ा सूत्रवाक्य है.
वैसे तो ‘विकसित भारत’ एक अनिश्चित संकल्प है. लेकिन, एक दशक पहले सत्ता में आने वाले नरेंद्र मोदी, पिछले दस वर्षों से तेज़ आर्थिक विकास की बुनियाद रखने की बातें कई बार कह चुके हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को विरासत में एक ऐसी अर्थव्यवस्था मिली थी, जो डगमगा रही थी. विकास की रफ़्तार सुस्त पड़ रही थी और निवेशकों का भरोसा कमज़ोर दिख रहा था. भारत के लगभग दर्जन भर अरबपति दिवालिया हो चुके थे और इस वजह से देश के बैंकों में अरबों के ऐसे क़र्ज़ दर्ज थे, जो अदा नहीं किए गए थे.
नहीं चुकाए गए इन क़र्ज़ों की वजह से बैंकों के पास कारोबारियों को और क़र्ज़ दे पाने की क्षमता बेहद कम हो गई थी.