


21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को लेकर कांग्रेस उनकी निंदा कर रही है. पीएम मोदी के भाषण को लेकर तक़रीबन 16 शिकायतें कांग्रेस ने चुनाव आयोग को दी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग से की गई एक शिकायत में कांग्रेस ने कहा है कि “नागरिकों के अलग-अलग वर्गों के बीच मतभेद पैदा करने वालों को” चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करना ही सही रास्ता है, “भले ही उस उम्मीदवार की पोज़िशन कुछ भी हो.”
अंग्रेज़ी के अख़बार द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 23 अप्रैल को चुनाव आयोग ने कहा है कि राजस्थान की एक रैली में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को लेकर आई शिकायतों की जांच की जा रही है.
पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने भाषण का हवाला देते हुए मुसलमानों पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्हें ‘घुसपैठिए’ और ‘ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाला’ कहा गया था.
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हालांकि पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के जिस 18 साल पुराने भाषण का ज़िक्र किया है, उसमें मनमोहन सिंह ने मुसलमानों को पहला हक़ देने की बात नहीं कही थी.
चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है कि प्रधानमंत्री मोदी की स्पीच को लेकर उन्हें शिकायत मिली है आयोग इस मामले की जांच कर रहा है.
सोमवार को कांग्रेस ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया था और पीएम मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी. कांग्रेस ने कहा था कि लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने के इरादे से प्रधानमंत्री धर्म और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में कहा, “भ्रष्ट तरीकों के इस्तेमाल को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस के सिद्धांत का पालन करने का एकमात्र तरीका ये है कि नागरिकों के अलग-अलग वर्गों के बीच मतभेद पैदा करने वालों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए, भले ही उस उम्मीदवार की पोज़िशन कुछ भी हो.”
वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पीएम मोदी के राजस्थान के बांसवाड़ा में दिए भाषण को भड़काऊ करार दिया है.
पार्टी अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने भी इस मामले में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर “भड़काऊ भाषण देने के लिए बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई” की मांग की है.
इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि इस मामले को लेकर चुनाव आयोग को लिखें.
सोमवार को चुनाव आयोग ने इस मामले में टिप्पणी करने से मना कर दिया था.