


बीकानेर। सर्दी के कारण कोटा में 140 गायों की मौत हो गई। 10 दिन से गायें तड़प-तड़पकर मर रही है। 18 करोड़ का बजट होने के बाद भी गोशाला में मौजूद 2600 गायें अभी भी बर्फीली सर्दी में खुले में रह रही है। गायों की मौत के आंकड़े को जिम्मेदार झूठा बताते हुए जवाब देने से बच रहे हैं। मामला धर्मपुरा गोशाला का है।
बुधवार सुबह 10 बजे धर्मपुरा गोशाला पहुंची। ये गोशाला शहर के आखिरी छोर पर है। जिस समय टीम वहां पहुंची तो पूरा इलाका कोहरे से ढका हुआ था। यहां एक कर्मचारी अलाव जलाकर सर्दी के असर को कम करने की कोशिश कर रहा था। अलाव की ये व्यवस्था एक नहीं बल्कि 2600 गायों के लिए थी।
इस गोशाला में तीन प्रमुख बाड़े हैं, जिनमें स्वस्थ गायों का बाड़ा, दूसरा नंदी शाला और तीसरा बीमार गोवंशों का बाड़ा है। चौथा बड़ा बाड़ा है, लेकिन यहां केवल गोशाला में सफाई के समय ही गोवंशों को छोड़ा जाता है।
स्वस्थ गायों के बाड़े में पहुंचे तो ऊपर टीनशेड लगे हुए थे, बाकी कुछ जगह से खुला था। बारिश में तो इन गायों का बचाव हो जाएगा, लेकिन सर्दी को रोका नहीं जा सकता।
- Advertisement -
बाड़े की तरफ गए तो यहां एक मृत गाय पड़ी थी, बाकी को दूसरे बाड़े में शिफ्ट कर दिया था।

इसकी क्षमता 700 की है, यानी इतनी गाय इसमें आसानी से आ सकती है, जबकि इस एरिया में 1 हजार गाय थी। यहां चारों तरफ कीचड़ फैला था। जगह इतनी छोटी कि गोवंश घूम तक नहीं सकते।
ऐसा ही हाल नंदी शाला में भी था। निगम अधिकारी-समिति चेयरमैन मौके पर हो तो काम होता है, नहीं तो यहां भी लापरवाही बरती जा रही है। समिति चेयरमैन जितेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे तब जाकर चारा डालने से लेकर सफाई का काम शुरू हुआ।
क्षमता से ज्यादा गोवंश, एक हजार की जगह 1500 गोवंश यहां हर बाड़े में स्थिति खराब है। जगह कम है और गायों की संख्या काफी ज्यादा है। हालात ये है कि गोवंशों को ठूंस-ठूंस कर रखना पड़ता है। नंदीशाला में एक हजार की क्षमता है और यहां 1500 गोवंशों को रखा हुआ है।