


बीकानेर। राजस्थान बीजेपी उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार कर हुए कहा कि मौजूदा समय में गहलोत पर यह कहावत चरितार्थ होती है कि सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाने के खिलाफ बोलने वाली कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांककर मेरे इन सवालों के जवाब देने चाहिए।
उपाध्यक्ष दाधीच ने कहा, साल 1985 में विधानसभा चुनाव एक मार्च को हुए ‘थे। चुनाव में राजस्थान और यूपी के मतदाता कांग्रेस के सिटिंग मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के खिलाफ होने के डर से 22 फरवरी की रात को उनका इस्तीफा दिलाकर हीरालाल देवपुरा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। क्या यह कानूनन गलत नहीं था? तत्कालीन में माथुर सरकार में चुनाव प्रचार के बीच 21 फरवरी को डीग के विधायक और उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राजा मान सिंह जो प्रतिष्ठित जाट नेता थे, उनका एनकाउंटर पुलिस ने किया था।
राजस्थान और यूपी के जाटों की नाराजगी से बचने के लिए राजीव गांधी के सलाहकार माखनलाल फोतेदार के निर्देश पर 22 फरवरी 1985 की रात मुख्यमंत्री माथुर को इस्तीफा देना पड़ा। चुनाव केवल एक सप्ताह दूर थे, कुंभलगढ़ से चुनाव लड़ रहे हीरालाल देवपुरा को बुलाकर 23 फरवरी को > मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। न विधायक दल की कोई बैठक हुई और न ही कोई संवैधानिक औपचारिकता पूरी की गई।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने कहा कि मेरे इन सवालों का जवाब दें अशोक गहलोत । क्योंकि ये सभी तथ्य सार्वजनिक भी हैं और रिकॉर्ड पर भी हैं। संविधान के साथ खिलवाड़ कांग्रेस ने कब- कब किया है। कांग्रेस की इन्हीं नीतियों के चलते जनता ने इनको सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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