


जयपुर। राजस्थान चुनाव संपन्न होने के बाद अब बीजेपी नए सीएम (Rajasthan CM) को चुनने की कवायद में लगी है. बीजेपी (bjp) के लिए यह फैसला आसान नहीं है. खास बात यह है कि चुनौती सिर्फ सीएम चुने जाने की नहीं है. बल्कि प्रदेश चलाने की भी होगी. जिसका इशारा कहीं ना कहीं आरबीआई की रिपोर्ट में दिख रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तिमाही रिपोर्ट में इस चुनौती को लेकर चेतावनी भी दी गई है.हम बात कर रहे हैं कर्ज में डूबते राजस्थान की. इस कर्जे को कम करने के लिए आरबीआई ने खुद चेताया है. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2019 में प्रति व्यक्ति कर्ज 38 हजार 782 रुपए था. पिछले वित्तीय वर्ष तक बढ़कर 70 हजार 848 रुपए हो गया.
*प्रदेश के सामने क्या है चुनौती क्या:*
नई सरकार के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती होगी कि इस कर्ज के बोझ से प्रदेश को कैसे बाहर निकाले? चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश का खर्च तो बढ़ा है, लेकिन उस अनुपात में राजस्व यानी आय नहीं बढ़ी है. जबकि राजस्व का कुल 115 फीसदी वेतन और पेंशन में से जा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो इस तरह से प्रदेश का घाटा लगातार बढ़ता रहेगा. जिसे चुकाने के लिए लोन लेना होगा यानी सीधे तौर पर मोटा ब्याज देना होगा.
*ढाई साल तो कर्जा कम करने में ही जुटी रहेगी नई सरकार:*
हालात ऐसे है कि नई सरकार का आधा कार्यकाल इस कर्जे को कम करने के उपाय में ही निकल जाएगा. जिसके लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की कोशिश होगी. जिसके लिए टैक्स बढ़ाने के अलावा कोई और उपाय ढूंढना चुनौतीपूर्ण होगा.

*आंकड़ों में समझिए पूरा मामला:*
दरअसल, राज्य का राजस्व 1.14 लाख करोड़ रुपए हैं. जबकि पेंशन, वेतन और ब्याज का खर्च अकेले 1.30 लाख करोड़ रुपए हैं. यानी राजस्व से ज्यादा राशि सरकार को खर्च करनी पड़ती है. साथ ही केंद्र सरकार जो अनुदान राजस्थान को देती है, उसमें भी 7 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है.
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*2026-27 तक नहीं सुधर सकते हालात:*
इन सबके बीच आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की है. आरबीआई की 2022-23 रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश पर कर्ज 5.59 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. साल 2019 में यह महज 3.39 लाख करोड़ रुपए था. रिपोर्ट के मुताबिक 2026-27 तक इसे कम नहीं किया जा सकता।