बीकानेर। दशहरे पर डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के खत्म होने पर भारी अव्यवस्था फैल गई। स्टेडियम का मुख्य गेट छोडकऱ सभी गेट बंद कर दिए गए थे। लोगों को बाहर जाने का रास्ता नहीं मिला तो गेट और दीवार फांदने लगे। बाद में पुलिस ने गेट पर लगे तोड़ कर लोगों को बाहर निकाला। दरअसल अफसरों की गाडिय़ां पहले निकालने के चक्कर में यह सब हुआ। स्टेडियम में 30 हजार से अधिक लोगों की भीड़ थी, जिनमेंहजारों की संख्या में बच्चे और महिलाएं भी थीं। यदि भगदड़ मच जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था।विजयादशमी पर्व पर करणी सिंह स्टेडियम में प्रवेश के लिए आठ दरवाजे खोले गए। इनसे ही निकासी की व्यवस्था पूर्व निर्धारित थी। हजारों लोग रावण दहन देखने के लिए अपने परिवार के साथ पहुंचे। आयोजन खत्म होने परलोग लौटने लगे तो दरवाजे बंद मिले। किसी के कुछ समझ नहीं आया तो जिधर रास्ता मिला, उधर चलने लगे। केवल मेन गेट खुला था वहां भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया। इससे अफरा-तफरी मच गई। देख कुछ लोग स्टेडियम के दरवाजे फांदकर बाहर निकलने लगे। स्टेडियम के मुख्य दरवाजे पर भीड़ का दबाव बहुत अधिक हो गया। अव्यवस्था का आलम इतना था कि यहां पर तीन दरवाजे थे मगर केवल एक ही खोला गया। संभागीय आयुक्त उर्मिला राजौरिया, जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल, आईजी ओम प्रकाश, एसपी तेजस्वनी गौतम, निगम आयुक्त केसर लाल मीणा सहित बीएसएफ कमांडेंट सहित अफसरों की गाडिय़ों को पहले निकाला जा रहा था, जिससे जाम लगा गया और अव्यवस्था फैल गई।आयोजकों को पता चला, उन्हें गेट पर लगे तालों की चाबियां नहीं मिली और गार्ड भी नहीं थे।दरवाजों के ताले तोडकऱ लोगों को निकाला गया।डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में रावन दहन के बाद लोगों को बाहर निकलने में भारी परेशानी उठानी पड़ी। स्टेडियम के सभी प्रवेश द्वार बंद थे। उन पर ताले लगा दिए गए थे। केवल मेन गेट खुला था, जहां से वीआईपी एंट्री थी। दर असल आयोजन समाप्त होने पर प्रशासनिक अधिकारियों को पहले निकलने की जल्दी थी।क्योंकि उन्हें रावण दहन के दूसरे कार्यक्रम में जाना था, लेकिन अफसर कुछ देर रुक सकते थे। पहले भीड़ को निकालना चाहिए था। स्टेडियम में 30 हजार से अधिक की भीड़ थी। यदि किसी कारण भगदड़ मच जाती तो बड़ाहादसा हो सकता था। अधिकारियों को कहना है कि उन्हें दूसरे आयोजन में भी जाना था। यदि ऐसा था तो सभी गाडिय़ां स्टेडियम में बाहर पार्क करनी चाहिए थी। जब पता था कि इतनी भीड़ आएगी, गाडिय़ों की पार्किंग अंदर रखना जरूरी नहीं था। बड़ा सवाल ये है कि सभी गेटों पर पुलिस तैनात थी तो ताले लगाने की जरूरत क्यों पड़ी। जब ताले लगाए जा रहे थे तो पुलिस ने रोका क्यों नहीं। इसकी जांच होनी चाहिए। भविष्य में ऐसी गलती दुबारा नाहो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
